बैंगलोर: कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो के खिलाफ वारंट जारी किया है। सरकार का यह एक्शन, कानूनगो के बेंगलुरु स्थित एक अनाथालय के दौरे के बाद आया है, जहां उन्होंने कथित तौर पर बच्चों की रहने की स्थिति की तुलना तालिबानी जीवनशैली से की थी। सरकार ने अनाथालय के एक सदस्य की शिकायत के आधार पर कार्रवाई की है।
बंगलुरु,कर्नाटक में दारूल उलूम सैय्यादिया यतीम खाना नाम से अवैध ढंग से चलते हुए एक ग़ैरपंजीकृत अनाथ आश्रम का औचक निरीक्षण किया जिसमें कई अनियमिततायें पायी गयीं।
— प्रियंक कानूनगो Priyank Kanoongo (@KanoongoPriyank) November 20, 2023
यहाँ क़रीब 200 यतीम (अनाथ) बच्चों को रखा गया है।
100 वर्गफ़िट के कमरे में 8 बच्चों का रखा जाता है,ऐसे 5 कमरों में 40… pic.twitter.com/dnp1g8Wj7a
आरोप और FIR:
कर्नाटक पुलिस ने दारुल उलूम सैय्यदिया यतीमखाना नामक अनाथालय के एक सदस्य की शिकायत के बाद प्रियांक कानूनगो के खिलाफ मामला दर्ज किया है। दरअसल, कानूनगो ने अनाथालय के एक औचक निरीक्षण के दौरान कई अनियमितताओं की सूचना दी, जिसमें छोटे-छोटे कमरों में 200 बच्चों को ठूंसकर भरा जाना भी शामिल था।
NCPCR की प्रतिक्रिया:
FIR पर प्रतिक्रिया देते हुए NCPCR ने एक बयान में कहा है कि सरकार की कार्रवाइयों का उद्देश्य आयोग की आवाज को दबाना है, जो वंचित बच्चों के अधिकारों की वकालत करता है। कानूनगो ने अनाथालय में बच्चों की खराब जीवन स्थितियों, शिक्षा की कमी और तालिबान जैसी मध्ययुगीन जीवनशैली पर प्रकाश डाला।
अनाथालय की स्थितियाँ:
बता दें कि, NCPCR के निरिक्षण के दौरान, यह पता चला था कि अनाथालय में बच्चों को स्कूल नहीं भेजा जाता था, उन्हें केवल पुरानी इस्लामी शिक्षा ही दी जाती थी। यहाँ तक कि बच्चों के रहने की स्थितियाँ भी घटिया थी, बच्चे छोटे-छोटे कमरों, गलियारों और मस्जिद हॉलों में ठूंस-ठूंसकर रहते थे और पूरे दिन इस्लामी धार्मिक शिक्षा प्राप्त करते थे। NCPCR ने बताया था कि, ''बच्चों के लिए कोई खेल का सामान नहीं है, बच्चे TV भी नहीं देखते, छोटे-छोटे बच्चे बेहद मासूम हैं और इतने डरे हुए हैं कि मौलवी को आता देख सारे के सारे स्थिर हो कर आँख बंद कर लेते हैं, सवेरे 3:30 पर जाग कर मदरसा की पढ़ाई में लग जाते हैं और दोपहर में सोते हैं, शाम से रात तक फिर तालीम होती है, दिन में नमाज़ के लिए छोटे ब्रेक होते हैं। खाने, आराम करने, मनोरंजन इत्यादि के लिए कोई और जगह नहीं है, सबको मस्जिद में ही रहना होता है। जबकि पता चला है कि करोड़ों की वफ़्फ़ की सम्पत्ति वाले इस यतीम खाने की बिल्डिंग अलग है जिसमें स्कूल चल रहा है पर उसमें इन बच्चों को जाने की इजाज़त नहीं है।'' इसे बाल आयोग ने बच्चों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन मानते हुए कहा था कि, भारतीय संविधान में बच्चों के लिए ये जीवन नहीं लिखा है। साथ ही ये अनाथालय भी अवैध और गैर पंजीकृत बताया गया था।
कर्नाटक सरकार को NCPCR का नोटिस:-
निरीक्षण के बाद NCPCR ने लापरवाही और देश के संविधान का उल्लंघन बताते हुए कर्नाटक सरकार को नोटिस जारी किया. सरकार को उचित कार्रवाई कर सात दिनों के भीतर रिपोर्ट देने को कहा गया था। अवैध अनाथालयों के मुद्दों के समाधान के लिए NCPCR द्वारा सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को इसी तरह के नोटिस भेजे गए थे।
कानूनगो की प्रतिक्रिया:-
प्रियांक कानूनगो ने वारंट की निंदा करते हुए दावा किया कि यह गरीब बच्चों के अधिकारों के लिए आयोग की वकालत को चुप कराने का एक प्रयास है। उन्होंने अवैध अनाथालयों के खिलाफ कार्रवाई की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि सरकार की कार्रवाइयां उनके प्रयासों को नहीं रोक सकेंगी। यह स्थिति बाल अधिकारों की वकालत और सरकारी कार्रवाइयों के बीच तनाव को उजागर करती है, कानूनगो को एक अनाथालय में खराब स्थितियों को उजागर करने के लिए कानूनी नतीजों का सामना करना पड़ रहा है। यह मामला बाल कल्याण संस्थानों में मुद्दों को संबोधित करने और कमजोर बच्चों के अधिकारों की रक्षा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता पर सवाल उठाता है।
शाकाहारी हिन्दू बच्ची को टीचर ने जबरन खिलाए अंडे, बीमार पड़ी दूसरी की छात्रा, कर्नाटक में शिकायत दर्ज