मुंबई: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार ने रविवार को कहा कि वह 1947 में हुए भारत-पाक विभाजन पर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) द्वारा जारी सर्कुलर से चिंतित हैं। उन्होंने पुणे में सरहद पब्लिक स्कूल का उद्घाटन किया। बता दें कि, यह कार्यक्रम सरहद फाउंडेशन द्वारा आयोजित किया गया था, जो एक स्थानीय गैर सरकारी संगठन है जो देश के सीमावर्ती क्षेत्रों, विशेषकर कश्मीर और पंजाब के छात्रों की शिक्षा में मदद करता है।
उद्घाटन समारोह में बोलते हुए, शरद पवार ने कहा कि, "मैं हाल ही में CBSE द्वारा जारी एक परिपत्र के बारे में चिंतित हूं। इस परिपत्र में कहा गया है कि स्कूलों को छात्रों को विभाजन के बाद समाज में उत्पन्न स्थिति के बारे में जानकारी देनी चाहिए।' उन्होंने कहा कि, 'मेरे अनुसार, विभाजन का इतिहास देश के विभाजन का इतिहास है, जहाँ बेहद खून-खराबा हुआ। हजारों लोग विस्थापित हुए। शरद पवार ने कहा कि, राष्ट्रीय और सामाजिक एकता की दृष्टि से युवा पीढ़ी के मन में ऐसा इतिहास बिठाना उचित नहीं होगा, जिसमें खून-खराबा और कटुता शामिल हो।
इस कार्यक्रम में शरद पवार के साथ, राज्य के पूर्व गृह मंत्री और कांग्रेस नेता सुशील कुमार शिंदे और महाराष्ट्र के उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल उपस्थित थे। बता दें कि CBSE ने पहले 14 अगस्त को 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' मनाने पर एक परिपत्र जारी किया था। दरअसल, भारत सरकार ने घोषणा की है कि हर साल 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। सीबीएसई ने परिपत्र में कहा, 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस', शैक्षणिक संस्थान इस विषय पर प्रदर्शनियां आयोजित करके इस दिन को मना सकते हैं।
शिक्षा बोर्ड ने आगे कहा कि, 'यह उल्लेख करना उचित है कि मुद्दे की संवेदनशीलता को देखते हुए, यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि प्रदर्शनी को उस संयम और गंभीरता के साथ प्रदर्शित किया जाए, जिसकी वह हकदार है। यह विशेष रूप से सुनिश्चित किया जाए कि समाज के किसी भी वर्ग की भावनाओं को ठेस न पहुंचे।' बता दें कि, इस वर्ष, देश ने स्वतंत्रता के 76 वर्ष पूरे किए और विभाजन के दौरान पीड़ा और दर्द सहने वालों को याद करने के लिए पूरे देश में 'विभाजन विभीषिका स्मरण दिवस' मनाया गया था।
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