नई दिल्ली. देश में जब भी नवंबर के माह की बात निकलती है तो लोगों को और ख़ास कर के बच्चों को 14 नवम्बर के दिन की ही याद आती है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस दिन को देश भर में चिल्ड्रन्स डे के रूप में मनाया जाता है. आइये बाल दिवस के इस अवसर पर हम आपको कुछ ऐसी कविताओं से रूबरू करवाते है जिनके बिना बाल दिवस अधूरा सा लगता है. आप इन कविताओं को बाल दिवस की शुभकामना सन्देश के रूप में भी भेज सकते है.
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कितनी प्यारी दुनिया इनकी,
कितनी मृदु मुस्कान।
बच्चों के मन में बसते हैं,
सदा, स्वयं भगवान।
एक बार नेहरू चाचा ने,
बच्चों को दुलारा।
किलकारी भर हंसा जोर से,
जैसे हाथ उठाया।
बच्चे गा सकते हैं जग में,
अपना गौरव गान।
बच्चे के मन में बसते हैं,
सदा स्वयं भगवान।
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अल्लाह, ईसा और ईश्वर
गुरुनानक का रूप है इनमें
कच्ची मिट्टी जैसे होते
सच्चाई की धूप है इनमें।
जिस घर, आंगन नहीं है बचपन
फुलवा भी वहां नहीं महकते
चाहे बने हों कई घोंसले
नन्हे पंछी नहीं चहकते
अल्लाह, ईसा और ईश्वर
गुरुनानक का रूप है इनमें।
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बाल-दिवस है आज साथियो, आओ खेलें खेल ।
जगह-जगह पर मची हुई खुशियों की रेलमपेल ।
बरस-गांठ चाचा नेहरू की फिर आई है आज,
उन जैसे नेता पर सारे भारत को है नाज ।
वह दिल से भोले थे इतने, जितने हम नादान,
बूढ़े होने पर भी मन से वे थे सदा जवान।
हम उनसे सीखे मुसकाना, सारे संकट झेल।
हम सब मिलकर क्यों न रचाएं ऐसा सुख-संसार
भाई-भाई जहां सभी हों, रहे छलकता प्यार।
नहीं घृणा हो किसी हृदय में, नहीं द्वेष का वास,
आंखों में आंसू न कहीं हों, हो अधरों पर हास।
झगड़े नहीं परस्पर कोई, हो आपस में मेल।
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