बीजिंग: पीएम नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलिया के पीएम स्कॉट मॉरिसन ने बीते गुरुवार को एक रक्षा समझौते पर दस्तखत किए। इससे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सम्बन्ध को व्यापक रणनीतिक साझेदारी में बदलने में सहायता मिलेगी, इसीलिए इस समझौते को अहम माना जा रहा है। अब जब भारत-चीन के बीच सीमा विवाद गहरा रहा है और तनाव की स्थिति है, ऐसे में इस समझौते ने ऑस्ट्रेलिया को लेकर भी चीन के कान खड़े कर दिए हैं।
चाइनीज मीडिया इसे चीन को घेरने की रणनीति के तौर पर देख रही है। ट्विटर पर हर दिन अपनी सेना के शक्ति प्रदर्शन से डराने की कोशिश करने वाले ‘ग्लोबल टाइम्स’ को भी इससे गहरा सदमा पहुंचा है और उसने इसे चीन को घेरने की रणनीति बताया है। उसने लिखा कि बीजिंग को अलग-थलग करने के लिए भारत दूसरे देशों के साथ डील कर रहा है। साथ ही उसने भारत पर इल्जाम लगाया कि भारत चीन को एक साथ कई फ्रंट्स पर घेरना चाहता है।
कुछ चाइनीज विशेषज्ञ मान रहे हैं कि चीन का मुकाबला करने के लिए ही भारत और ऑस्ट्रेलिया ने यह समझौता किया है। ऑस्ट्रेलिया से भी हाल के दिनों में चीन के रिश्ते अच्छे नहीं रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया अब तक रक्षा मामलों में अमेरिका पर और वित्तीय मामलों में चीन पर ही आश्रित रहा है। अब तक उसका रुझान यही रहा है कि दोनों देशों के बीच समन्वय बना कर चला जाए। लेकिन, एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया अमेरिका के सबसे अहम् साझेदारों में से एक है।
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