प्राचीन है महाबलीपुरम और चीन का सम्बन्ध, जहाँ आज पीएम मोदी और जिनपिंग करेंगे बैठक

प्राचीन है महाबलीपुरम और चीन का सम्बन्ध, जहाँ आज पीएम मोदी और जिनपिंग करेंगे बैठक
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नई दिल्ली: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग आज भारत दौरे पर आ रहे हैं. पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच होने वाली ये अनौपचारिक बैठक तमिलनाडु के महाबलीपुरम में हो रही है. समुद्र किनारे बसे इस शहर में कई प्राचीन मंदिर मौजूद हैं, इन मंदिरों का चीन से भी पुराना रिश्ता है. यही वजह है कि महाबलीपुरम को इस समिट के लिए चुना गया है. विशेष बात ये भी है कि कभी महाबलीपुरम के शासकों ने चीन के साथ तिब्बत की बॉर्डर की सुरक्षा के लिए अनुबंध किया था और आज पीएम मोदी उसी इतिहास को दोबारा उजागर करेंगे.

पल्लव वंश के राजा नरसिंह देव बर्मन ने समुद्र किनारे बसे इस शहर को बसाया था. इस शहर से कभी चीनी सिक्के मिले थे, जिससे ये बात उजागर हुई थी कि यहां और चीन के बीच व्यापारिक संबंध थे, जो बंदरगाह के माध्यम से किए जाते थे. यही वजह रही है कि चीन और पल्लव वंश लगातार करीब आते चले गए, इसी के बाद सातवीं सदी में चीन ने महाबलीपुरम के राजाओं से अनुबंध किया.

दोनों के बीच हुआ ये अनुबंध सुरक्षा को लेकर था, जो कि तिब्बत बॉर्डर के लिए किया गया था. चीन ने ये अनुबंध पल्लव वंश के तीसरे राजकुमार बोधिधर्म के साथ किया था, जिन्होंने बाद में बौद्ध धर्म अपनाया और बौद्ध भिक्षु बन गए थे. यही समझौता और चीन को की गई सहायता एक वजह भी बनी कि चीन में बोधिधर्म को सम्मानित दर्जा प्राप्त है.

राष्ट्रपति जिनपिंग के दौरे से पहले चीनी मीडिया ने कहा- भारत-चीन एक साथ बोलेंगे तो दुनिया सुनेगी.

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