इस्लामाबाद: चीन के बाद अब पाकिस्तान ने मालदीव मुद्दे से खुद को अलग कर लिया है. पाकिस्तान ने कहा कि वह दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहता. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने कहा कि "पाकिस्तान अन्य देशों के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने की नीति का पूरी तरह पालन करता है और इस बारे में संयुक्त राष्ट्र के नियमों के अनुसार काम करना जारी रखेगा.’’
गौरतलब हैं कि संकट में फंसे मालदीव के राष्ट्रपति ने भारत को नजरअंदाज करते हुए पाकिस्तान में विशेष दूत भेजे थे. दूत के रूप में विदेश मंत्री मोहम्मद असीम खुद पाकिस्तान आए थे और उन्होंने अब्बासी को मालदीव में चल रहे हालातों से अवगत कराया था. असीम ने अब्बासी को बताया कि किन हालातों में मालदीव को आपातकाल की घोषणा करनी पड़ी लेकिन उसके बाद भी पाकिस्तान की तरफ से सहायता करने का कोई आश्वासन नहीं दिया गया.
आपको बता दें कि, चीन भी इसे मालदीव का अंदरूनी मुद्दा बताकर पहले ही पल्ले झाड़ चुका है, यहां तक कि वो भारत को भी यह समझाइश दे रहा है कि भारत भी मालदीव में सैन्य कार्यवाही ना करे. चीन ने मालदीव को आपस में बात करके समस्या का हल निकालने की सलाह दी है.
पाकिस्तान और चीन के इस रवैये से इन दोनों देशों की मिलीभगत की बू आ रही है, क्योंकि अगर मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद को कोई मदद नहीं मिलती तो वहां अब्दुल्ला यामीन की ही सरकार बनेगी. जो चीन और पाकिस्तान दोनों के लिए फायदेमंद है, अगर अब्दुल्ला यामीन की सरकार से किसी को खतरा है तो वो भारत को है.
क्यों अहम् है मालदीव भारत के लिए ?
मालदीव में सब पर आफत, केवल राष्ट्रपति सलामत
कौन करेगा हिन्द महासागर पर राज, भारत या चीन ?