बीजिंग: कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा शासित चीन के यूनान प्रांत में 13वीं सदी की मस्जिद को ढहाने की कोशिश का मामला तूल पकड़ता ही जा रहा है। इसको लेकर सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें मस्जिद के बाहर बड़ी संख्या में भीड़ नज़र आ रही थी। वहीं, इस दौरान आमजन और पुलिस के बीच झड़प भी जानकारी सामने आई थी। बता दें कि दक्षिण चीन में स्थित यूनान में मुस्लिम आबादी का गढ़ है, मगर मस्जिद पर इस कार्रवाई को लेकर अभी तक दुनियाभर के 56 इस्लामी मुल्क और खुद को इस्लाम का झंडाबरदार बताने वाले पाकिस्तान, तुर्की और कतर की ओर से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि भारत में यदि कोई मामूली विवाद भी होता है, तो यही देश फ़ौरन 'मुस्लिमों पर अत्याचार' का राग अलापते हुए दुनियाभर में बवाल मचाने लगते हैं, किन्तु चीन की कार्रवाई पर यही लोग मौन धारण कर क्यों बैठे हैं?
???? Footage from China's Yunnan province allegedly shows clashes between Hui Muslims and police after being denied mosque entry.
— Mete Sohtaoğlu (@metesohtaoglu) May 29, 2023
Online info hints at authorities planning mosque demolition. pic.twitter.com/f0MTjZZqZg
बता दें कि, चीन की शी जिनपिंग सरकार मुस्लिमों के खिलाफ जुल्म पर जुल्म करती जा रही है। उइगर मुस्लिमों पर चीनी सरकार ने कितने अत्याचार किए हैं, और अब भी कर रही है, ये बात किसी से छिपी नहीं है। शनिवार (28 मई) को भी जिनपिंग सरकार ने 13वीं सदी की एक मस्जिद को तोड़ने का प्रयास किया, जिसके बाद लोगों ने हंगामा कर दिया और पुलिस अपनी कार्रवाई पूरी नहीं कर सकी। उल्लेखनीय है कि बीते दिनों ही इस मस्जिद के मीनार और गुंबद का निर्माण कराया गया था, जिसे चीनी अदालत ने अवैध ठहराया था। अब पुलिस प्रशासन इस मस्जिद के 4 मीनारों को ध्वस्त करना चाहती है। वहीं, चीनी सरकार की इस कार्रवाई पर दुनियाभर के इस्लामी देशों की बोलती बंद हो गई है।
बता दें कि, यह पहली बार नहीं है, जब इस्लामी जगत का खलीफा बनने की इच्छा रखने वाले तुर्की ने चीन की मुस्लिम विरोधो हरकतों पर आँख मूँद ली हो। इससे पहले भी जब चीन ने उइगर मुस्लिमों को पकड़-पकड़कर डिटेंशन कैंप में डाला था और उनपर अत्याचार किए थे, तब भी तुर्की खामोश रहा था। यहाँ तक कि, 2019 में भी NATO ने चीन के उइगर मुस्लिमों पर हो रही कार्रवाई के खिलाफ एक ओपन लेटर जारी किया था, मगर तुर्की ने उसपर भी जवाब देने से साफ इनकार कर दिया था। वहीं, पाकिस्तान तो चीन के कर्ज तले दबा हुआ है और दोनों मिलकर भारत के खिलाफ जहर उगलते रहते हैं, ऐसे में वो तो कुछ बोलने से रहा। हाँ, अगर भारत में कोई मामूली घटना भी हो गई होती, तो यही सब मिलकर संयुक्त राष्ट्र (UN) तक पहुँच जाते, बयान पर बयान जारी होते और दुनियाभर में भारत को नीचा दिखाने की कोशिशें की जाती।
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