बीते सोमवार लद्दाख की गलवन घाटी में जारी टकराव के बीच चीन ने दवा निर्माण में उपयोगी कच्चे माल की कीमतों में 15 से 20 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी कर दी है। इससे घरेलू दवा निर्माताओं के सामने मुश्किल खड़ी हो गई है। डोकलाम गतिरोध के समय भी चीन ने ऐसा ही किया था। सबसे अधिक मुश्किल इंदौर के उन छोटे दवा निर्माताओं के सामने खड़ी हो गई है, जिन्होंने सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य विभाग में सप्लाई के लिए ठेके ले रखे हैं। उन्हें तो पुरानी दरों पर ही दवा सप्लाई करनी होगी.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इंदौर बेसिक ड्रग एसोसिएशन के सचिव जेपी मूलचंदानी बताते हैं कि गलवन में गतिरोध के कारण चीन के व्यापारियों ने एक्टिव फार्मास्युटिकल्स इंग्रेडिएंट्स (एपीआई) कच्चे माल की कीमत में वृद्धि कर दी है। यह वृद्धि भी कम नहीं, 15 से 20 प्रतिशत तक की है। इससे दवा निर्माताओं के सामने संकट खड़ा हो गया है। अब उन्हें न्यूनतम प्रॉफिट पर ही सप्लाई करना है। डोकलाम गतिरोध के समय भी चीन ने ऐसा किया था.
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इस मामले को लेकर दवा कंपनी सिप्को फार्मा के डायरेक्टर गौरव झंवर बताते हैं पैरासिटामॉल और अन्य कच्चा माल जनवरी के आखिरी दिनों में चीन से आया था। इसके बाद कोरोना का असर होना शुरू हो गया था। धीरे-धीरे लॉकडाउन लगता गया। उस समय 250 रुपए किलो आने वाला पैरासिटामॉल अब हम लोग 400 रपये किलो तक खरीद रहे हैं। अब जब कोरोना का असर कम हुआ तो हमने सोचा था कि चीन से सप्लाई शुरू होगी तो इसके भाव में कमी आएगी लेकिन यह वृद्धि निराशाजनक है.
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