भारतीय क्षेत्र लद्दाख में लगातार घुसपैठ कर अपना दावा जताते रहे चीन की एक और कुत्सित चाल सामने आई है. चीन ने यहां सीमा पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के करीब बड़े पैमाने पर सैन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण शुरू कर दिया है. रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बृहस्पतिवार को बताया कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने यहां तंबू लगाकर अंदर ही अंदर भूमिगत सुरंगें बना ली हैं और पैंगोंग सो झील क्षेत्र के करीब विवादित फिंगर-8 क्षेत्र में भी सुरंगों का जाल बिछा रही है. भारत ने इस पर ऐतराज जताया है, जिसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है.
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चीनी सेना ने इस क्षेत्र में अपने सैनिक बढ़ाने के साथ ही गश्त भी तेज कर दी है. साथ ही भारतीय सैनिकों को यहां आवाजाही से रोका जा रहा है, जबकि इससे पहले दोनों ही देशों की सेनाएं यहां गश्त करती रहती थीं. सूत्रों का कहना है कि इससे पहले यहां दोनों ही देशों की सेनाओं ने कोई स्थायी निर्माण नहीं किया था, लेकिन अब चीन ने यहां तंबुओं को गाड़कर अपना कब्जा जमाने की शुरुआत कर दी है और यह भारतीय सुरक्षा के लिहाज से बेहद चिंता का विषय है.
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अगर आपको नही पता तो बता दे कि पैंगोंग सो झील एलएसी के दोनों तरफ चीनी कब्जे वाले तिब्बत और भारतीय लद्दाख क्षेत्र में करीब 134 किलोमीटर लंबाई में फैली हुई है. इस झील का करीब दो तिहाई हिस्सा चीन के कब्जे में है, जबकि लद्दाख की तरफ का उत्तरी हिस्सा भारत के पास है. लेकिन चीन उत्तरी हिस्से को भी अपना बताते हुए यहां भारतीय सेना की मौजूदगी पर ऐतराज जताता रहता है. इसके चलते दोनों सेनाओं में कई बार यहां भिड़ंत भी हो चुकी है. भारतीय सेना के मुताबिक, दोनों सेनाओं के जवानों के बीच भिड़ंत के बाद हर बार दोनों देशों के बीच तनाव कम करने के लिए तय प्रक्रिया का पालन किया जाता है. इस प्रक्रिया में ब्रिगेडियर स्तर के अधिकारियों के बीच फ्लैग मीटिंग आयोजित की जाती है और मामला सुलझा लिया जाता है.
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