नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में कहा कि सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया चीन से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर बहस कर रही है। उन्होंने उदाहरण के तौर पर अमेरिका का उल्लेख किया, जहां चीन के प्रति गंभीरता और चिंताएं स्पष्ट हैं। जयशंकर ने कहा कि यूरोप में भी चीन प्रमुख आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा चर्चाओं का केंद्र बना हुआ है।
उन्होंने चीन से होने वाले निवेश की जांच को सामान्य बताते हुए कहा कि भारत और चीन के बीच सीमा विवाद और जटिल संबंधों के चलते यह जांच और भी जरूरी हो जाती है। विदेश मंत्री ने उल्लेख किया कि अगर भारत और अन्य देश चीन के साथ व्यापार घाटे की शिकायत कर रहे हैं, तो भारत भी ऐसा ही कर रहा है। उन्होंने कहा, "हम पहले से ही चीनी उत्पादन और उसकी विशेष सुविधाओं की अनदेखी कर रहे हैं। चीन की राजनीति और अर्थव्यवस्था विशिष्ट हैं, और जब तक हम इसके विशिष्ट पहलुओं को समझने की कोशिश नहीं करेंगे, हमारी नीतियां और निर्णय गलत हो सकते हैं।"
जयशंकर ने यह भी कहा कि चीन के साथ व्यापार, निवेश और आदान-प्रदान करते समय यह महत्वपूर्ण है कि हम समझें कि चीन एक अलग तरीके से काम करता है। उन्होंने चार वर्षों से सीमा पर जारी समस्याओं के बावजूद भारत द्वारा उठाए गए एहतियात को सही ठहराया और कहा कि यूरोप और अमेरिका, जिनके पास चीन के साथ सीमा नहीं है, वे भी इसी प्रकार की सावधानियां बरत रहे हैं।
विदेश मंत्री ने यह स्पष्ट किया कि सवाल निवेश करने का नहीं है, बल्कि यह महत्वपूर्ण है कि वह निवेश कितना सुरक्षित है और इसे कैसे प्रबंधित किया जाए। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा के दायरे के बढ़ते महत्व पर बल देते हुए कहा कि यदि आपका टेलीकॉम सिस्टम चीनी तकनीक पर आधारित है, तो इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। जयशंकर ने इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए संतुलन बनाए रखने और सटीक निर्णय लेने की आवश्यकता पर जोर दिया।
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