बीजिंग : मुंबई-अहमदाबाद के 508 किलोमीटर की लंबाई वाली द्रुत गति की ट्रेन की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना में भारत द्वारा जापान की मदद लेना चीन को सहन नहीं हो रहा है. इसलिए चीन की सरकारी मीडिया ने चेतावनी देते हुए कहा है कि बुलेट ट्रेन परियोजना से चीन को अलग रखना भारत के लिए हितकारी नहीं होगा. चीन का कहना है कि रेलवे नेटवर्क के पुनर्गठन या देश की आगामी द्रुत गति की रेल परियोजनाओं के लिए उसे चीन का ध्यान रखना चाहिए.
बता दें कि सरकारी ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित एक लेख में बताया गया है कि भारत ने पहली द्रुत गति की रेलवे परियोजना के लिए जापान को भागीदार के रूप में चुना है. यह परियोजना 2018 से शुरू होने की उम्मीद है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि चीन को अन्य बुलेट ट्रेन परियोजनाओं से अलग रखना भारत के हित में है. वास्तव में भारत को चीन की जरूरत चीन को भारत की जरूरत से ज्यादा है.
ग्लोबल टाइम्स के सम्पादकीय में कहा गया है कि दुनिया के चौथे सबसे बड़े रेल नेटवर्क कहे जाने वाले भारतीय रेलवे को खासतौर पर सप्लाइ की समस्या से जूझना पड़ रहा है. भारत के रेलवे के इंजीनियर चीन में भी ट्रेनिंग ले रहे हैं ऐसे में चीन भारत को इस क्षेत्र में मदद कर सकता है. यही नही स्टील रेल विनिर्माण और ट्रेन प्रौद्योगिकी में भी भारत को चीन की जरूरत है.
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