काठमांडू: काठमांडू और बीजिंग ने एक पारगमन प्रोटोकॉल को अंतिम रूप दिया है जो नेपाल को चीन के साथ व्यापार के लिए चीनी बंदरगाहों तक पहुंच प्रदान करेगा, इससे दूसरे देशों के साथ व्यापार के लिए भारतीय बंदरगाहों पर नेपाल की भारी निर्भरता समाप्त हो जाएगी. दोनों सरकारी अधिकारियों ने गुरुवार की रात को मैराथन बैठक के बाद प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए. मार्च 2016 में नेपाल के प्रधानमंत्री के पी ओली ने भारत द्वारा आर्थिक और व्यापारिक नाकेबंदी के चलते चीन का दौरा किया था, उस समय इस संधि का ढांचा तैयार किया गया था, जिसे अब अंतिम रूप दे दिया गया है.
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एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि समझौते के औपचारिकरण ने चीन के बंदरगाहों के माध्यम से नेपाल में अन्य देशों से माल के पारगमन की अनुमति दी है. जिसमें टियांजिन, शेन्ज़ेन, लिआनगैंग, झांजियांग और सूखेपोर्ट शामिल हैं. अधिकारियों ने कहा कि नेपाल से व्यापारिक सौदे का आवागमन अब तक कोलकाता के रास्ते किया जाता था, जिसमे तीन महीने तक का समय लगता है, लेकिन अब भारत सरकार ने दक्षिणी विशाखापत्तनम बंदरगाह को भी नेपाली व्यापार के लिए खोल दिया है.
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व्यापारियों का कहना है कि चीन के साथ देश को जोड़ने की योजना, सीमा के नेपाली पक्ष पर उचित सड़कों और सीमा एक अन्य बुनियादी ढांचे की कमी के कारण परेशानियों का सामना कर सकती है. उल्लेखनीय है कि निकटतम चीनी बंदरगाह भी इसकी सीमा से 2,600 किमी से अधिक दुरी पर स्थित है. ऊन के कालीन के निर्यातक अनुप मल्ला ने कहा है कि "नेपाल को चीनी बंदरगाहों तक आसानी से पहुंच के लिए उचित आधारभूत संरचना विकसित करना चाहिए, "इसके बिना बंदरगाहों को खोलना उपयोगी नहीं होगा."
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