नई दिल्ली। चीन की एक पनडुब्बी हिंद महासागर क्षेत्र में मौजूद है। भारत इस पनडुब्बी पर नज़र बनाए हुए है। दरअसल यह पनडुब्बी श्रीलंका के लिए निकली थी और श्रीलंका से चीन ने इस पनडुब्बी को पनाह देने के लिए अपील की थी लेकिन श्रीलंका ने इस बात को नकार दिया। इसके बाद अब यह पनडुब्बी श्रीलंका द्वारा चीनी पनडुब्बी को पनाह देने से इन्कार के बाद अब यह पनडुब्बी पाकिस्तान की तरफ रवाना हो गई है।
भारत इस पनडुब्बी पर नजर बनाए हुए हैं। यह पनडुब्बी हिंद महासागर क्षेत्र में हैं। श्रीलंका ने इस महीने चीन की ओर से कोलंबो में पनडुब्बी खड़ी करने के अनुरोध को खारिज कर दिया था। अब यह पनडुब्बी पाकिस्तान के लिए निकली है जिस पर भारतीय नौसेना की नज़र है। दरअसल इस पनडुब्बी को भारतीय नौसेना के लंबी दूरी वाले मैरिटाईम गश्ती विमान पी 81 ने देखा था। यह पनडुब्बी युआन वर्ग की है।
दरअसल चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी नेवी के 26 वें एंटी पायरेसी टास्क फोर्स के भाग के तौर पर यह सबमरीन मलाका से गुजर रहा था। माना जा रहा है कि इसका उद्देश्य एडेन की खाड़ी में रणनीतिक महत्व को बढ़ाना है। गौरतलब है कि भारतीय नौसेना ने अभी तक चीन की 7 पनडुब्बियों को पकड़ा है। इस पनडुब्बी को परमाणु क्षमता से युक्त माना जा रहा है। इस पर भारतीय दल की नज़र है।
गौरतलब है कि चीन में वन बेल्ट वन सम्मेलन होना है। भारत द्वारा इसका बहिष्कार करने का मन बनाया गया है जबकि अन्य देश इसमें पहुंच सकते हैं। ऐसे में इस पनडुब्बी के इस क्षेत्र में मिलने से गंभीरता और बढ़ गई है। यही नहीं चीन अपने सामरिक महत्व को बढ़ाते जा रहा है और भारत के खिलाफ कूटनीतिक चालें चलता जा रहा है।
हालांकि भले ही यह कहा जाए कि यह पनडुब्बी समुद्री लुटेरों को रोक सकती है लेकिन यह एक गंभीर सवाल है कि इतनी बड़ी पनडुब्बी केवल इस उद्देश्य के लिए क्यों। गौरतलब है कि वर्ष 2013 और फरवरी 2014 में सबसे पहली बार पनडुब्बियों को देखा गया था और फिर भारत इस मामले में सुरक्षा को लेकर गंभीर हो गया था। चीन श्रीलंका में बड़े पैमाने पर सड़क निर्माण व अन्य प्रोजेक्ट में निवेश कर चुका है ऐसे में चीन का इस तरह का रवैया किसी बड़े खतरे की ओर संकेत करता है।
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