बीजिंग: कोरोना वायरस से विश्व भर में 30 हजार लोगों की मौत हो चुकी है और 6 लाख से ज्यादा लोग इस बीमारी से संक्रमित हुए हैं। कोरोना वायरस सबसे पहले चीन के वूहान में फैला और यहां अभी तक 81,439 लोग संक्रमित हुए हैं, जिनमें से 3,300 की जान गई। हालांकि, चीन की तरफ से दिए गए आंकड़ों पर दुनिया शक कर रही है। तो क्या चीन कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों की तादाद और मौत के असली आंकड़ों को छिपा रहा है?
चीन की मोबाइल कंपनियों के मुताबिक, बीते 2-3 महीनों में 2 करोड़ से ज्यादा मोबाइल फोन डिएक्टिवेट हो गए हैं। यह पहली दफा है जब चीन में इस प्रकार टेलीफोन यूजर्स की संख्या तेजी से घटी है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि वे कौन लोग हैं जिनके फोन बंद हुए हैं और किस वजह से? इसके पीछे एक तर्क तो यह दिया जा रहा है कि कोरोना वायरस के कारण जो प्रवासी मजदूर शहरों को छोड़कर गांव चले गए, उन्होंने अपने शहर वाले नंबर का इस्तेमाल करना बंद कर दिया। हालांकि, चीन में अब कंपनियों में काम आरम्भ हो चुका है। ऐसे में यदि इस तर्क के पीछे हकीकत है तो अगले कुछ दिनों में ये फोन फिर चालू हो जाएंगे, यदि ऐसा नहीं होता है तो माना जाएगा कि दाल में कुछ काला अवश्य है।
इसके अलावा एक संदेह का कारण यह भी है कि चीन की मीडिया स्वतंत्र नहीं है। वहां से वही खबरें विश्व के सामने आती हैं, जिन्हें चीन की सरकार बाहर आने कि अनुमति देती है। चीन ने प्रताम्भिक चरण में भी कोरोना वायरस की खबरों को भी दबाना चाहा। उसने उन डॉक्टरों को भी प्रताड़ित किया, जिन्होंने सबसे पहले इस वायरस की पहचान की और सरकार को अलर्ट किया। सवाल तो वायरस की उत्पत्ति को लेकर भी किए गए। संदेह यह भी जाहिर किया गया कि चीन किसी जैविक हथियार की तलाश में तो नहीं जुटा था? हालांकि, अभी इन बातों पर स्पष्ट तौर पर कुछ कहा नहीं जा सकता है। वक़्त के साथ कई सवालों से पर्दा उठ सकता है।
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