दुनिया के सामने एक बार फिर चीन का दोहरा चरित्र सामने आया है। एक ओर भारत के साथ सीमा विवाद को लेकर हालात पहले से तनावपूर्ण है। ऊपर से लद्दाख सेक्टर में चीन आक्रामक नीतियों के चलते निरंतर संघर्ष वाले हालात उत्पन्न कर रहा है। वहीं दूसरी ओर वैश्विक मंचों पर चीन शांति स्थापित करने की बात कर रहा है।
दरअसल, सिंगापुर में हो रही शांगरी-ला वार्ता के चलते चीनी रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंघे ने कहा, भारत एवं चीन पड़ोसी हैं तथा अच्छे संबंध बनाए रखना दोनों देशों के हितों को पूरा करता है। उन्होंने कहा वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर शांति स्थापित करने के लिए दोनों देश मिलकर काम कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने दक्षिण चीन सागर समेत क्षेत्रीय विवादों को सुलझाने के लिए शांतिपूर्ण तरीकों का भी आह्वान किया।
LAC पर भारतीय जवानों के साथ संघर्ष के सवाल पर चीनी रक्षा मंत्री ने कहा, दोनों देशों के बीच लगभग 15 दौर की बातचीत हो चुकी है। हम इस क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए काम कर रहे हैं। दरअसल, उनसे पूछा गया था कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने दो वर्ष पहले भारत के साथ LAC पर कई बिंदुओं पर यथास्थिति को बदलने के लिए एकतरफा कदम क्यों उठाया था? जिसकी वजह से सैन्य संघर्ष हुआ, जिसके चलते 45 वर्षों में पहली बार संघर्ष की खबें सामने आईं। दरअसल, बीते दिनों पैंगांग झील को लेकर भारत एवं चीन की सेना के बीच जबरदस्त संघर्ष हुआ था। ततपश्चात, लद्दाख में हालात तनावपूर्ण हो गए। इससे पूर्व शांगरी-ला वार्ता में शनिवार को अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने बोला था, भारत की बढ़ती ताकत ही हिंद प्रशांत इलाके में स्थिरता स्थापित कर सकती है। उन्होंने कहा कि अमेरिका का मानना है कि भारत की बढ़ती सैन्य क्षमता तथा तकनीकी कौशल इस क्षेत्र में एक स्थिर शक्ति हो सकती है। समारोह के चलते उन्होंने प्रमुख तौर पर भारत का जिक्र करते हुए कहा, चीन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आक्रामक बर्ताव अपनाए हुए है तथा अवैध तरीके से अपनी समुद्री क्षमताओं को बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा, चीन भारत के साथ सीमा पर अपने हालात को सख्त कर रहा है।
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