भारत सरकार चीन को एक और बढ़ा झटका देने की तैयारी कर रही है. इस कदम को अंजाम देने के लिए सरकार करीब 50 निवेश प्रस्तावों की समीक्षा कर रही है. जिसके बाद घटनाक्रम से जुड़े तीन सूत्रों ने यह जानकारी उपलब्ध कराई है कि. सरकार ने इस वर्ष अप्रैल में नए नियम बनाए थे. जिसके तहत पड़ोसी देशों के सभी निवेश प्रस्तावों को सरकार मंजूरी लेनी होगी. इन पड़ोसी देशों में से भारत में सबसे ज्यादा चीन से निवेश आता रहा है.
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इस मामले पर बात करते हुए एक अधिकारी ने कहा कि इन निवेश प्रस्तावों को कई तरह की मंजूरियों की दरकार होगी. मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए हम अतिरिक्त रूप से सतर्क हैं. ये सभी निवेश प्रस्ताव भारत में नियम बदल जाने के बाद के हैं. वहीं, भारत सरकार द्वारा इस नीति को लागू करने के बाद चीनी परेशान हो गया है. चीन ने इसे भेदभाव वाली नीति करार दिया था.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि चीन कंपनियों ने भारतीय कंपनीयों को खरीदने की कोशिश की है. ताकि किसी भी तरह चीन भारत में अपने व्यापार को बनाए रख सके. चीन की इन्ही कोशिशों के बाद नए नियम बनाए गए हैं. हाल के दिनों में सीमा पर विवाद के बीच भारत-चीन के द्विपक्षीय रिश्तों में और दरार आई है. लीगल फर्म कृष्णमूर्ति एंड कंपनी के पार्टनर आलोक सोनकर ने कहा कि हाल के सप्ताह में चीन के कम से कम 10 क्लाइंट्स ने निवेश संबंधी सलाह मांगे. लेकिन वे भारतीय नियमों में और स्पष्टता का इंतजार कर रहे हैं. बता दें कि पिछले हफ्ते ही भारत सरकार ने चीन के 59 ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया था. भारत की एकता, रक्षा और राज्यों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इन ऐप्स को बैन करने का फैसला लिया था. इसमें वीडियो मेकिंग ऐप टिकटॉक औरयूसी ब्राउजर शामिल है.
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