पटना: बीते दिनों लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के छह सांसदों में से पांच ने चिराग पासवान की जगह पशुपति कुमार पारस को अपना नेता चुन लिया था। अब दोनों गुट यह दावा कर रहे हैं कि उनका गुट ही 'असली' लोजपा है। वहीं लोजपा में जारी घमासान के बीच चिराग पासवान ने बुधवार को कहा कि मेरे पिता रामविलास पासवान जब जिन्दा थे, तब भी JDU, लोजपा को बांटने के काम में जुटी हुई थी। जब मैं बीमार था तब भी साजिश रची गई।
उन्होंने कहा कि बिहार चुनाव के दौरान, उससे पहले भी और उसके बाद भी कुछ लोगों द्वारा और खास तौर पर JDU द्वारा हमारी पार्टी को तोड़ने की निरंतर कोशिश की जा रही थी। चिराग ने कहा कि मेरी पार्टी के पूरे समर्थन के साथ मैने चुनाव लड़ा। कुछ लोग संघर्ष के रास्ते पर चलने के लिए राजी नहीं थे। मेरे चाचा ने स्वयं चुनाव प्रचार में कोई भूमिका नहीं निभाई। मेरी पार्टी के कई और सांसद अपने निजी चुनाव में व्यस्त थे।
उन्होंने कहा कि दुख मुझे इस बात का है कि जब मैं बीमार था, उस वक़्त मेरे पीठ पीछे जिस तरह से ये पूरी साजिश रची गई। मैंने चुनाव के बाद अपने चाचा से संपर्क करने का, उनसे बात करने की निरंतर कोशिश की। चिराग ने कहा कि कुछ जगह ख़बर चल रही है कि मुझे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटाया जा चुका है। लेकिन पार्टी का संविधान कहता है कि पार्टी अध्यक्ष का पद केवल दो परिस्थितियों में खाली हो सकता है या तो राष्ट्रीय अध्यक्ष का निधन हो या फिर वो इस्तीफा दें।
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