श्रीनगर: हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन मीरवाइज उमर फारूक को गुरुवार, 28 मार्च 2024 को फिर से नजरबंद किए जाने का दावा किया गया है। अंजुमन औकाफ जामिया मस्जिद ने एक बयान में कहा कि मीरवाइज को उनके खुत्बा (धर्म उपदेश) से पहले अधिकारियों ने नजरबंद कर दिया।
मीरवाइज को आज शहर की आली मस्जिद में बयान देने वाला था। हालांकि, अधिकारियों ने मीरवाइज की नजरबंदी के दावे पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। पिछले साल सितंबर में मीरवाइज को नजरबंदी से रिहा किया गया था। अधिकारियों ने अक्टूबर के पहले हफ्ते में मीरवाइज के आंदोलन पर फिर से बैन लगा दिया और उन्हें जामिया मस्जिद में शुक्रवार की नमाज सहित किसी भी मजहबी सभा में भाग लेने से रोक दिया। मीरवाइज को रमजान के महीने से एक हफ्ते पहले फिर से शुक्रवार की नमाज और अन्य धार्मिक सभाओं में भाग लेने की छूट दी गई थी। मीरवाइज उमर फारूक को अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद हिरासत में ले लिया गया था।
इसके बाद सितंबर 2023 में उन्हें रिहा किया गया। चार साल की नजरबंदी से रिहा होने के बाद उमर फारूक ने अपने अलगाववादी गठबंधन के रुख को दोहराया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को बातचीत और शांतिपूर्ण तरीके से हल किया जाना चाहिए। कश्मीर के लोग समुदायों और राष्ट्रों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व में यकीन रखते हैं। उमर फारूक ने कश्मीरी पंडितो का भी जिक्र किया था और कहा था कि "हमने हमेशा अपने पंडित भाइयों को घाटी लौटने के लिए बुलाया है। हमने हमेशा इसे सियासी मुद्दा बनाने से इनकार किया है, यह एक मानवीय मुद्दा है।"
मीरवाइज, कश्मीर में काफी दिनों से चला आ रहा इस्लामी धर्मगुरुओं का एक ओहदा है। श्रीनगर की जामा मस्जिद के प्रमुख मीरवाइज ही होते हैं। उमर फारूक के पिता मौलवी फारूक की हत्या होने के बाद 17 साल की उम्र में ही उन्हें मीरवाइज बनाया गया था।
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