बैंगलोर: कर्नाटक के विजयपुरा जिले के होनवाड़ा गाँव के किसानों के बीच एक बड़ी चिंता उभर कर सामने आई है। यहाँ की 1200 एकड़ जमीन पर वक्फ बोर्ड ने अपना दावा ठोक दिया है, जिससे किसानों की आजीविका और उनकी संपत्ति के अधिकारों पर सवाल खड़े हो गए हैं। किसानों ने शिकायत की है कि उन्हें नोटिस मिले हैं, जिनमें कहा गया है कि उनकी जमीनें शाह अमीनुद्दीन दरगाह से संबंधित वक्फ संपत्ति हैं। इन किसानों में से कितने दलित हैं, कितने पिछड़े हैं, कितने सवर्ण हैं, ये तब ही पता चल पाएगा, जब राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनेंगे और जातिगत जनगणना करवाने के बाद बताएंगे कि वक्फ ने किस जाति की कितनी संपत्ति छीनी है ? लेकिन ये भी याद रखिए कि, उनके सत्ता में आते ही वक्फ के अधिकार और बढ़ जाएंगे, क्योंकि कांग्रेस और मुस्लिम वोट पाने वाले अधिकतर विपक्षी दल आज भी वक्फ में संशोधन का पुरजोर विरोध ही कर रहे हैं। पाकिस्तान और बांग्लादेश देने के बावजूद आज भारत में भी 9 लाख एकड़ जमीन वक्फ की हो चुकी है, जिसपे सरकार का कोई अधिकार नहीं।
वक्फ बोर्ड द्वारा जारी नोटिस के मुताबिक, यह दावा 1974 के सरकारी गजट के आधार पर किया गया है, जिसमें इस भूमि को वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज किया गया था। विजयपुरा वक्फ बोर्ड की अधिकारी तबस्सुम ने बताया कि कुछ नोटिस गलती से किसानों को भेज दिए गए थे और अगर उनके पास वैध भूमि रिकॉर्ड हैं तो उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।
किसानों का कहना है कि यह दावा उनके लिए अचंभित कर देने वाला है। होनवाड़ा ग्राम पंचायत के उपाध्यक्ष सुनील शंकरप्पा तुडीगल ने कहा कि दरगाह का कोई अस्तित्व नहीं है, लेकिन फिर भी किसानों को अपनी पुश्तैनी जमीन पर से बेदखल करने का प्रयास किया जा रहा है। लगभग 41 किसानों को नोटिस भेजे गए हैं, जिनसे उनके स्वामित्व के कागजात पेश करने को कहा गया है।
किसानों ने इस दावे के विरोध में अपनी नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने कर्नाटक के जिला प्रभारी मंत्री एमबी पाटिल से मुलाकात की और इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने मंत्री से मांग की है कि सरकार इस मुद्दे का समाधान जल्द से जल्द करे। किसानों का कहना है कि यदि यह नोटिस वापस नहीं लिया गया तो वे बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होंगे।
कर्नाटक के मंत्री एमबी पाटिल ने किसानों को आश्वासन दिया है कि वक्फ से संबंधित कोई भी निजी भूमि या संपत्ति प्रभावित नहीं होगी। पाटिल ने कहा कि यदि किसी भूमि को गलत तरीके से वक्फ संपत्ति के रूप में चिह्नित किया गया है तो इसे ठीक करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएँगे। इसके साथ ही उन्होंने किसानों से शांत रहने का आग्रह किया है।
हालाँकि, किसानों के मन में अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। एक किसान ने कहा कि उनके पास वैध दस्तावेज हैं, लेकिन जिला प्रशासन चुपचाप उनकी जमीन छीनने की कोशिश कर रहा है। किसानों का कहना है कि वे अपनी जमीन किसी भी हालत में किसी को नहीं देंगे और न्याय की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं।
कर्नाटक के इस विवाद पर विपक्ष भी हमलावर हो गया है। भाजपा ने कॉन्ग्रेस सरकार पर वक्फ बोर्ड की कार्रवाई का समर्थन करने का आरोप लगाया है। भाजपा ने इसे सरकार की तुष्टिकरण की नीति करार दिया है। भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि वक्फ बोर्ड को असीमित अधिकार दिए गए हैं, जिससे किसान अपनी पुश्तैनी जमीन खोने के कगार पर हैं।
सूर्या ने कहा कि मोदी सरकार वक्फ अधिनियम में संशोधन के लिए प्रतिबद्ध है और किसानों की जमीन की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेगी। उन्होंने कहा कि 1954 और 2013 में कॉन्ग्रेस सरकारों ने वक्फ बोर्ड को त्वरित जाँच के बाद किसी भी भूमि को वक्फ घोषित करने और अतिक्रमण हटाने के लिए अनियंत्रित शक्तियाँ दी थीं।
यह पहली बार नहीं है जब वक्फ बोर्ड ने इस तरह का दावा किया है। इससे पहले 2022 में तमिलनाडु में वक्फ बोर्ड ने पूरे गाँव और 1500 साल पुराने मंदिर (जब इस्लाम के संस्थापक पैगंबर मोहम्मद का जन्म भी नहीं हुआ था) पर दावा ठोक दिया था। यह मामला तब सामने आया था जब एक व्यक्ति ने अपनी जमीन बेचने की कोशिश की, लेकिन रजिस्ट्रार ऑफिस में उन्हें पता चला कि उनकी जमीन वक्फ संपत्ति घोषित हो चुकी है।
EXCLUSIVE BREAKING:
— Rahul Shivshankar (@RShivshankar) October 25, 2024
Is there a move to grab hundreds of acres of land by Waqf Board in Vijayapura district of Karnataka just days ahead of Parliament taking up the WAQF Amendment Bill?
Vijapura district farmers make startling disclosure to @harishupadhya
They claim that… pic.twitter.com/9BQq0HryAX
इसी तरह अप्रैल 2024 में तेलंगाना में वक्फ बोर्ड ने हैदराबाद के एक नामी 5 स्टार होटल मैरियट पर अपना दावा जताया था। हालाँकि, तेलंगाना हाईकोर्ट ने वक्फ बोर्ड के इस दावे को खारिज कर दिया था। वक्फ बोर्ड का यह दावा लगभग 50 वर्षों तक कानूनी विवादों में उलझा रहा। 1954 में पंडित जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने वक्फ अधिनियम पारित किया था, जिसके तहत वक्फ संपत्तियों का केंद्रीकरण हुआ। इसके बाद समय-समय पर इस अधिनियम में संशोधन किए गए। 2013 में UPA सरकार ने वक्फ अधिनियम में संशोधन करते हुए वक्फ बोर्डों को और भी अधिकार दिए थे, जिसके चलते वो किसी भी जमीन पर दावा ठोंक सकता था और कोई कोर्ट भी उसके आड़े नहीं आ सकती थी। ना ही कोई सरकार इसमें कुछ कर सकती थी।
भारत में विभिन्न राज्यों के वक्फ बोर्डों के पास इस समय करीब 8.7 लाख संपत्तियाँ हैं, जिनका क्षेत्रफल करीब 9.4 लाख एकड़ है, ये सम्पत्तियाँ आज भारत सरकार के हाथ से जा चुकी हैं, इसके बावजूद देशवासियों को समझ नहीं आ रहा है कि देश किसने बेचा ? भारतीय रेलवे, भारतीय सेना, वन विभाग आदि की जमीन फिर भी सरकार के अधीन है, उस पर कोर्ट फैसला कर सकता है, लेकिन वक्फ पर ना कोई कोर्ट काम आएगा, ना सरकार। अब मोदी सरकार ने वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाने और विवादों को सुलझाने के लिए कई कदम उठाए हैं। सरकार ने वक्फ संपत्तियों की निगरानी में जिला मजिस्ट्रेटों को शामिल करने का विचार भी किया है।
Interacted with farmers of Honvada village, Tikota Taluk, Vijayapura District this morning.
— Tejasvi Surya (@Tejasvi_Surya) October 25, 2024
Over 1,500 acres of their ancestral agricultural land with valid documents have been unilaterally claimed by the Waqf Board, threatening these farmers livelihoods and generational… pic.twitter.com/OnHsoGVPWf
कर्नाटक के विजयपुरा जिले के होनवाड़ा गाँव में वक्फ बोर्ड के दावे ने किसानों के बीच एक बड़ी चिंता पैदा कर दी है। वक्फ बोर्ड द्वारा जारी नोटिस और किसानों के विरोध ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना दिया है। भाजपा ने कॉन्ग्रेस सरकार पर वक्फ बोर्ड का समर्थन करने का आरोप लगाया है, जबकि सरकार ने किसानों को उनके अधिकारों की रक्षा का आश्वासन दिया है।
इस विवाद ने एक बार फिर से वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और भूमि मालिकों के अधिकारों की रक्षा की जरूरत को रेखांकित किया है। अगर इस विवाद का समाधान समय पर नहीं निकाला गया तो किसानों के विरोध प्रदर्शन और बढ़ सकते हैं, जिससे राज्य में अस्थिरता की स्थिति पैदा हो सकती है।
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