गोरखपुर: गोरखपुर विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग में आचार्य अजेय कुमार गुप्ता ने कहा है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) और भारत सरकार के बीच विवाद अब भी जारी है, इससे देश के आर्थिक परिवेश पर निश्चित ही प्रतिकूल असर पड़ेगा, बढ़ते विवाद का यदि जल्द ठोस समाधान न हुआ तो वैश्विक स्तर पर भारत की अर्थव्यवस्था के प्रति भरोसा कमजोर होगा. सरकारें बहुत से मुद्दों पर अल्पकालिक दृष्टि से सोचती हैं जबकि केंद्रीय बैंक को मध्यावधि और लंबी अवधि के तहत काम करना होता है.
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उन्होंने कहा कि ऐसे में मतभेद होना लाजिमी है, नि:संदेह दोनों की नीतियां देश की प्रगति को ही ध्यान में रखकर तैयार होती हैं, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि कोई एक, दूसरे की स्वायत्तता को प्रभावित करने की कोशिश करे. उन्होंने कहा कि फिर भी सरकार और आरबीआई के बीच मतभेदों से यही लग रहा है कि दोनों एक दूसरे के कामों में दखल देने की कोशिश कर रहे हैं.
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प्रो. अजेय ने कहा कि लोकसभा का चुनाव करीब है, ऐसे में केंद्र सरकार का जोर लोगों के बीच देश की अर्थव्यस्था की मजबूत छवि बनाने की कोशिश है. केंद्र सरकार चाहती है कि आरबीआइ ऐसे प्रावधान करे जिससे बैंक अधिक से अधिक कर्ज बांट सकें, कर्ज मिलेगा तो नए उद्योग-धंधे लगेंगे, कारोबार बढ़ेगा, रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी, लेकिन आरबीआइ अर्थव्यवस्था की सुंदर छवि पेश करने की बजाय उसकी अंदरूनी दुरुस्ती में लगा हुआ है, इसी के चलते आरबीआई ने भारी एनपीए संकट का सामना कर रहे 11 बैंकों को नए लोन जारी करने पर रोक लगा दी है.
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