नई दिल्ली : चुनाव आयोग द्वारा आज आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को लाभ के पद का दोषी पाते हुए उनकी सदस्यता रद्द करने की घोषणा के साथ ही केजरीवाल सरकार पर विपक्षियों का हमला तेज होगा , बल्कि सरकार संकट में भी आ गई है.यदि राष्ट्रपति चुनाव आयोग के फैसले से सहमति जता देते हैं, तो सरकार को बहुत नुकसान हो सकता है.
बता दें कि चुनाव आयोग के इस फैसले से सीएम केजरीवाल की छवि तो प्रभावित होगी ही,विपक्षियों का हमला भी तेज हो जाएगा. आप के 20 विधायक कम होने से उनकी संख्या अब 44 रह जाएगी, जबकि बहुमत के लिए 36 विधायक जरुरी है . ऐसे में विपक्ष दस और विधायकों को तोड़ने में सफल रहा तो सरकार गिरने का भी अंदेशा है. यदि 6 महीने में उपचुनाव होते हैं तो विपक्षी आम आदमी पार्टी पर यह आरोप लगाएगी कि जिन विधायकों को मंत्री नहीं बना सके उन्हें फायदा पहुंचाने के लिए सत्ता का उपयोग करने के लिए गैर कानूनी तरीका अपनाया .
गौरतलब है कि पहले विपक्ष की संख्या उँगलियों पर गिनी जा सकती थी , लेकिन 20 विधायकों की सदस्यता जाने के बाद उपचुनाव होने पर विपक्ष को मजबूती मिलेगी.वहीं विधायकों के अयोग्य घोषित हो जाने केजरीवाल के खिलाफ या पार्टी के अंदर भ्रष्टाचार पर आवाज बुलंद करने वालों की ताकत में इजाफा होगा.इनमें योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, कुमार विश्वास और कपिल मिश्रा शामिल हैं.
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