मुंबई: महाराष्ट्र के सियासी संकट में शह और मात का खेल जारी है। एक ओर बागी नेता एकनाथ शिंदे का गुट निरंतर मजबूत होता जा रहा है। दूसरी ओर MLA एक-एक करके उद्धव ठाकरे से अलग होते नजर आ रहे हैं। इसके बाद भी शिवसेना मजबूत होने का दावा कर रही है। अबतक शिवसेना की ओर से 16 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग उठाते हुए डिप्टी स्पीकर को चिट्ठी भेजी गई है। दूसरी ओर शिंदे स्वयं को विधायक दल का नेता बता रहे हैं।
वही कल हुई शिवसेना विधायकों की बैठक में पार्टी के केवल 13 विधायक पहुंचे थे। जबकि महाराष्ट्र में उनके 55 विधायक हैं। मतलब यह स्पष्ट हो चला है कि बाकी 42 MLA शिंदे गुट के साथ हैं। इसमें से 38 विधायक शिंदे के पास गुवाहाटी पहुंच भी चुके हैं। मतलब अब शिंदे गुट पर दल-बदल कानून लागू नहीं होगा। राजनीतिक घमासान के बीच महाराष्ट्र के दो निर्दलीय विधायकों ने डिप्टी स्पीकर Narahari Jirwal को हटाने की मांग रख दी है। बता दें कुछ देर पहले ही Narahari Jirwal ने शिवसेना की मांग को मानते हुए MLA अजय चौधरी को विधायक दल के नेता के तौर पर मान्यता दे दी थी। इसके अतिरिक्त उद्धव कैंप के ही सुनील प्रभु को पार्टी चीफ व्हीप चुना गया था।
आपको बता दें कि यह फैसला शिंदे गुट के लिए झटके जैसा है। क्योंकि वे लोग एकनाथ शिंदे को विधायक दल का नेता बता रहे हैं। महाराष्ट्र के MLA असम में रुके हुए हैं। इसपर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का बयान आया है। उन्होंने कहा कि देश में जितने MLA हैं मैं उनको असम में आने के लिए आमंत्रित करता हूं। मुझे नहीं पता कि कब महाराष्ट्र में सरकार बनेगी मगर वह (विधायक) जितने दिन भी रहेंगे वह मेरे लिए खुशी की बात है। मैं उद्धव ठाकरे जी को भी छुट्टियों के लिए बुलाना चाहता हूं।
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