लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंगलवार को मथुरा में श्री कृष्ण के अनन्य भक्त रहे रसखान की समाधि पर पहुंचे। मुस्लिम धर्म से संबंध रखने वाले रसखान को कृष्ण भक्ति और देश की मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। उनका असल नाम सैयद इब्राहिम खान था, मगर आज पूरी दुनिया उन्हें रसखान के नाम से जानती है। सीएम योगी ने रसखान की समाधि पर पहुंचकर विजिटर बुक में भी महत्वपूर्ण टिप्पणी लिखी। उन्होंने लिखा कि, 'भक्ति जाति-पाति नहीं देखती।' समाधि पर पुष्प अर्पित करने के बाद सीएम योगी ने अफसरों को निर्देश दिया कि वे यहां साप्ताहिक तौर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम कराएं ताकि अधिक से अधिक लोग यहां आ सकें।
सीएम योगी ने इस दौरान रसखान और ताज बीबी की समाधियों के सौंदर्यीकरण के लिए अधिकारीयों की भी जमकर प्रशंसा की। ताज बीबी भी श्री कृष्ण की भक्त थीं। वह मुगल बादशाह अकबर की मुस्लिम बीवी थीं, मगर श्री कृष्ण में उनकी गहरी आस्था थी। रसखान युवावस्था में ही कृष्ण की भक्ति में रम गए थे और फिर ताउम्र वे वृंदावन में रहे। जीवन के अंतिम समय में वह वैष्णव मत अपना चुके थे। दो दिनों के अपने मथुरा दौरे में सीएम योगी ने बांके बिहारी मंदिर में पूजन-अर्चन किया। इसके अलावा कृष्ण जन्मभूमि का भी दौरा किया।
इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे मथुरा में संचालित विधवाश्रमों में रहने वाली महिलाओं के लिए काम करें। उन्हें कैसे सरकारी योजनाओं का फायदा मिल सकता है। इस बात पर ध्यान दें। बता दें कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने रसखान की समाधि का ऐसे समय में दौरा किया है, जब कानपुर में पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी के विरोध में हंगामा मचा हुआ था। इसके साथ ही पूरे देश में इस मुद्दे पर बहस चल रही है और सांप्रदायिक घटनाओं को लेकर चिंताई जाहिर की जा रही है। ऐसे में सीएम योगी आदित्यनाथ के इस दौरे को संदेश के रूप में देखा जा रहा है।
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