लखनऊ: बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी स्थित विवादित ज्ञानवापी परिसर से संबंधित मामलों की सुनवाई में अब उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ को भी शामिल करने की तैयारी चल रही है। मुकदमों की पावर ऑफ अटॉर्नी जल्द ही सीएम योगी को सौंपी जाएगी। विश्व वैदिक सनातन संघ के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह विसेन ने शनिवार (29 अक्टूबर 2022) को इसकी जानकारी दी है। बता दें कि अभी तक ये तमाम मुकदमे विश्व वैदिक सनातन संघ देख रहा है।
जितेंद्र सिंह विसेन ने बताया है कि, 'ज्ञानवापी परिसर से संबंधित तक़रीबन सभी मुकदमे हमारे द्वारा ही दाखिल किए गए थे। मगर, वर्तमान में हम सिर्फ 5 मुकदमों को ही देख रहे हैं। इसमें माँ श्रृंगार गौरी केस, भगवान आदि विश्वेश्वर विराजमान के अलावा तीन अन्य केस शामिल हैं। इन पाँचों मुकदमों की पावर ऑफ अटॉर्नी अब कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद सीएम योगी को सौंप दी जाएगी। इस संबंध में सभी कानूनी प्रक्रिया 15 नवंबर तक संपन्न कर ली जाएगी।' सरल शब्दों में पावर ऑफ अटॉर्नी (POA) का अर्थ एक ऐसी एक कानूनी व्यवस्था से है, जो किसी व्यक्ति को उसकी गैरमौजूदगी में उसकी संपत्ति, चिकित्सा मामलों और वित्त प्रबंधन करने के लिए किसी अन्य व्यक्ति या संगठन को नियुक्त करने की इजाजत देता है। अधिकृत व्यक्ति को एजेंट या पावर ऑफ अटॉर्नी एजेंट कहा जाता है।
नियमों और शर्तों के आधार पर अधिकृत एजेंट के पास संपत्ति, चिकित्सा मामलों और वित्त से संबंधित कानूनी फैसला लेने के लिए व्यापक या सीमित अधिकार हो सकते हैं। यह पावर ऑफ अटॉर्नी एक्ट, 1888 द्वारा शासित होता है। बता दें कि ज्ञानवापी से संबंधित कई केस विचाराधीन हैं। इनमें चार प्रमुख माँ श्रृंगार गौरी मामला, भगवान श्री आदि विश्वेश्वर विराजमान, ज्ञानवापी में पाए गए शिवलिंग को लेकर धार्मिक भावनाएँ आहत करने का आरोप और प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग आदिविश्वेश्वर का वर्ष 1991 का मुकदमा शामिल है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में ज्ञानवापी के पुरातात्विक सर्वेक्षण की माँग से संबंधित मामले की नियमित सुनवाई चल रही है।
वहीं, शीर्ष अदालत में ज्ञानवापी परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण की माँग का एक मामला नियमित सुनवाई पर चल रहा है। इसके साथ ही, श्रृंगार गौरी के मुक़दमे के दौरान ही मई 2022 में कमीशन कार्रवाई रोकने के लिए पिटीशन दाखिल की गई थी, जो डिसमिस कर दी गई थी।
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