जीवन में कभी-कभी ऐसे क्षण भी आते हैं, जब किसी दुर्घटना में ज़िन्दगी दांव पर लग जाती है। ऐसी आपातकालीन परिस्थितियों में प्रभावित व्यक्ति की जान बचाने के लिए किसी अप्रशिक्षित द्वारा जो इलाज किया जाता है उसे प्राथमिक चिकित्सा कहा जाता है। इस चिकित्सा का मूल उदेश्य, समय गंवाए बिना प्रभावित व्यक्ति का इलाज करना होता है। यह ऐसा सरल उपचार होता है, जो कई बार जीवन रक्षक साबित होता है, इसीलिए जीवन रक्षा में अहम भूमिका निभाने वाली इस चिकित्सा के महत्त्व को देखते हुए पूरे विश्व में आज का दिन अंतर राष्ट्रीय प्राथमिक चिकित्सा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
कब दें यह चिकित्सा
बता दें कि यूँ तो प्राथमिक चिकित्सा सामान्य चोट लगने पर भी की जाती है, लेकिन आमतौर पर यह आपातकालीन परिस्थितियों में दी जाती है। पानी में डूबने पर दम घुटने, फांसी लगने के दौरान साँस के रुकने, हृदय गति रुकने, खून निकलने, शरीर में जहर फैलने, गर्मी के कारण जी घबराने, बेहोश होने, कोमा, आदि में चले जाने पर प्राथमिक चिकित्सा देकर प्रभावित को बचाया जा सकता है। प्राथमिक चिकित्सा का प्रमुख उद्देश्य घायल व्यक्ति की जान बचाना, वर्तमान स्थिति से उबारना और तबीयत सुधार को प्रोत्साहित करना होता है।
प्राथमिक चिकित्सा के सिद्धांत
जैसा कि सभी जानते हैं कि किसी रोग या दुर्घटना से व्यक्ति यूँ ही घबराया हुआ रहता है। ऐसे में प्राथमिक चिकित्सा के कुछ सिद्धांत होते हैं, जिनका पालन करना ज़रूरी होता है। आइये इन सिद्धांतों पर एक नज़र डालते हैं। सबसे पहले प्रभावित व्यक्ति की साँस की जाँच करनी चाहिए और एबीसी के नियम का पालन करना चाहिए. चोट लगने पर रक्तस्त्राव को तुरंत रोकना चाहिए, सदमे से ग्रसित व्यक्ति को सांत्वना और हिम्मत देना चाहिए. बेहोश व्यक्ति को होश में लाने की कोशिश करनी चाहिए और जितनी जल्दी हो सके रोगी को अस्पताल ले जाना चाहिए, ताकि उसका जीवन बचाया जा सके.
प्राथमिक चिकित्सा की सावधानियां
चूँकि प्राथमिक चिकित्सा अप्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा दी जाती है, ऐसे में कुछ सावधानियों का पालन करना ज़रूरी होता है। इनमें रोगी की साँस रुकने से जीवन चिह्न न मिलने पर यह नहीं मान लेना चाहिए कि व्यक्ति मृत है। डॉक्टर द्वारा पुष्टि के बाद ही ऐसी घोषणा की जानी चाहिए. रक्त स्त्राव रोकने, साँस लेने में आ रही तकलीफ को दूर कर शुद्ध वायु संचार करने के अलावा रोगी की स्तब्धता दूर करने के लिए गरम कपड़ों के अलावा गर्म पानी की बोतल का भी उपयोग करना चाहिए.
हड्डी टूटने पर रोगी को ज़्यादा हिलाना नहीं चाहिए. ज़हर खाने की स्थिति में उल्टी आदि करवाकर प्रतिविष का प्रयास करना चाहिए. घायल मरीज के केवल कपड़े ढीले करने चाहिए, उन्हें उतारना नहीं चाहिए. होश में लाने के लिए स्मेलिंग साल्ट सुंघाना चाहिए. इन छोटी-छोटी लेकिन अहम सावधानियों से भी, प्रभावित व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है। आखिर प्राथमिक चिकित्सा का मुख्य उद्देश्य ही डॉक्टर तक पहुँचने से पहले का उपचार करना है।
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