गुवाहाटी: भारत के अन्य राज्यों की तरह असम को भी दुर्गा पूजा और अन्य त्योहारों के बीच कोयले की कमी की वजह से बिजली की भारी कमी की परेशानी को झेलना पड़ सकता है। इस बात की जानकारी अधिकारियों ने सोमवार को दी। राज्य के मुख्य बिजली वितरक असम पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (एपीडीसीएल) ने एक सार्वजनिक अधिसूचना में बोला है कि सीमित कोयले की उपलब्धता की वजह से थर्मल स्टेशनों से बिजली उत्पादन में बहुत ही गिरावट आई है।
एपीडीसीएल ने बोला है कि बिजली की स्थिति स्पष्ट रूप से एक महत्वपूर्ण स्तर पर है और बिजली की कटौती अनिवार्य की जा सकती है। कृपया हमारे साथ रहें और बिजली का विवेकपूर्ण इस्तेमाल करें। आपको हो रही असुविधा के लिए खेद है। जहां इस बात का पता चला है कि बिजली विभाग के एक अधिकारी ने बोला है कि असम को सामान्य परिस्थितियों में लगभग 1900-1950 मेगावाट बिजली की आवश्यकता होती है, और त्योहारी सीजन में मांग बढ़कर 2,200 मेगावाट से ज्यादा हो जाती है।
अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बोला है कि, विभिन्न गैस आधारित बिजली परियोजनाओं से राज्य का अपना उत्पादन सामान्य मांग का लगभग आधा भाग ही है। राष्ट्रीय और क्षेत्रीय ग्रिड से बिजली प्राप्त करने के उपरांत असम अपनी बिजली की आवश्यकता को पूरा करता है। अप्रैल 2014 में, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पड़ोसी मेघालय में अंधाधुंध और खतरनाक राथोल कोयला खनन पर प्रतिबंध को और भी बढ़ाना है, जिससे बांग्लादेश और अन्य भारतीय राज्यों को कोयले की आपूर्ति और भी ज्यादा बदतर होती जा रही है। मिली जानकारी के अनुसार लेकिन मेघालय और असम में पर्यावरण कार्यकर्ताओं का इलज़ाम है कि मेघालय में अवैध रूप से खनन जारी है और अधिकारियों ने इस पर आंखें मूंद चुके हैं।
कोयला आपूर्ति में कमी की खबरों के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को बिजली मंत्री आर.के. सिंह और कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी और स्थिति की समीक्षा की। एक आधिकारिक बयान में बोला गया है कि कोयला मंत्रालय और CIL ने आश्वासन दिया है कि बिजली संयंत्रों की मांग को पूरा करने के लिए देश में पर्याप्त कोयले की उपलब्धता है। वहीं इस बारें में आगे कहा गया है कि बिजली आपूर्ति में व्यवधान का कोई भी डर पूरी तरह से गलत है। बिजली संयंत्रों में कोयले का स्टॉक 4 दिनों से अधिक की आवश्यकता के लिए पर्याप्त है और चूंकि CIL द्वारा कोयले की आपूर्ति में तेजी लाई जा रही है, इसलिए बिजली संयंत्रों में कोयले के स्टॉक में धीरे-धीरे सुधार होगा।
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