तेलंगाना में एक मुर्गे (Rooster) को अपने मालिक के क़त्ल के इलज़ाम में सजा सुनुआई जा असती है. यह केस राज्य के जगतियाल जिले के गोलापल्ली का है. फिलहाल मुर्गे को पुलिस कस्टडी में रखा जा चुकाहै. इतना ही नहीं हो सकता है कि इस अपराध के चलते उसे अदालत के समक्ष भी पेश होना पड़े. हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब मुर्गों को कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ा रहा है. बीती जनवरी में दो मुर्गों को 10 लोगों के साथ हवालात में तीन दिन गुजारने पड़े थे.
जंहा इस बात का पता चला है कि यह केस 22 फरवरी का है. गोलापल्ली में मंदिर के पास मुर्गों की लड़ाई होनी थी. जिसके लिए पोल्ट्री फार्म चलाने वाले 45 साल के टी सतैया भी तैयारी कर चुके थे. उन्हें ऐसी लड़ाई के लिए मुर्गों को तैयार करने में माहिर समझ रहे थे. वे सुबह काम पर आए और मुर्गे के पैर में 3 इंच का चाकू बांधा. उन्होंने जैसे ही दूसरे मुर्गे को उठाने के लिए पहले वाले को नीचे रखा, तो वह चाकू गिराने का प्रयास करने लगा. इसी बीच गलती से चाकू सतैया की कमर में लग गया.
गोलापल्ली पुलिस स्टेशन के सब-इंस्पेक्टर के जीवन बताते हैं कि सतैया का खून बहने लगा. उन्होंने बोला 'नुकीले चाकू से गंभीर चोट पहुंची है. हॉस्पिटल ले जाने के रास्ते में उसका बहुत ही खून बह गया, जहां बाद में उसे मृत घोषित कर दिया गया.' जीवन इसे ओपन एंड शट के केस मान रहे हैं. वहीं, चाकू और जब्त किए गए मुर्गे की सावधानी से तस्वीरें ले ली गईं हैं.
जंहा इस बारें में कहा जा रहा है कि 'हमने मुर्गे को एक दिन के लिए पुलिस स्टेशन में रखा, लेकिन बाद में नजदीक के पोल्ट्री फार्म में भेज दिया. जहां उसकी देखभाल कर रहे थे. मुर्गे की तस्वीरें अदालत में जमा की जाने वाली है. अगर अदालत आदेश देती है, तो उसे पेश किया जाएगा.' सतैया की पत्नी ने पुलिस को बताया कि वो ऐसी लड़ाइयों में शामिल होता रहता था. वे हर लड़ाई में 1500 से 2000 हजार रुपए कमाता था. हम बता दें कि तेलंगाना में मुर्गों की लड़ाई अवैध है, लेकिन गुप्त रूप से राज्य में इनके आयोजन की खबरें सामने आती रहती हैं. इस लड़ाई में एक मुर्गे को दूसरे के विरुद्ध जंग के लिए छोड़ा जाता है. जहां उनपर लाखों रुपए की शर्तें लगाई जाती हैं.
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