प्रत्येक वर्ष 2 सितंबर को विश्व नारियल दिवस मनाया जाता है. नारियल दिवस के दिन नारियल से बनी विभिन्न वस्तुओं की प्रदर्शनियाँ लगाई जाती हैं. नारियल एक ऐसा फल है, जिसके हर भाग का हम तरह-तरह से इस्तेमाल करते हैं. नारियल दिवस नारियल की महत्ता को रेखांकित करता है. यह मिल-बैठकर यह पता लगाने का दिवस है कि किस तरह से हम इसे और इस्तेमाल में ला सकते हैं. आजकल हमारा देश पॉलिथीन के कहर से गुजर रहा है, जो सड़ता नहीं है और नालों, रेल पटरियों तथा सड़क के किनारों को गंदा एवं प्रदूषित कर देता है.
वही पॉलिथीन को हटाकर हम नारियल की जटा से बने थैलों का इस्तेमाल कर सकते हैं. नारियल हर तरह से हमारे लिए उपयोगी है. नारियल की खेती हमारे देश में करीब एक करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान करती है. देश के चार दक्षिणी राज्य केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु तथा आंध्र प्रदेश में नारियल की सघन खेती की जाती है. भारत का 90 प्रतिशत तक नारियल यहीं से प्राप्त किया जाता है. यह नमकीन मिट्टी में समुद्र के किनारे उगाया जाता है.
यह नारियल-पानी पौष्टिक एवं स्वास्थ्यवर्द्धक होता है. गर्मी के मौसम में नारियल-पानी पीकर हम अपनी प्यास बुझाते हैं. जब नारियल पकता है, तो इसमें भीतर से सफेद नारियल का फल प्राप्त होता है. यह पूजा में काम आता है. सफेद नारियल हम कच्चा भी खाते हैं, मिठाई और कई पकवान बनाने में भी इस्तेमाल करते हैं. नारियल के रेशों से गद्दे, थैले तथा और भी कई प्रकार की उपयोगी चीजें बनाई जाती हैं. नारियल के ऐसा फल है जो पूजा के साथ-साथ खाने में भी इस्तेमाल किया जाता है, तथा ये बहुत ही उपयोगी ओर पौष्टिक फल है.
प्रणब मुखर्जी के निधन पर इस देश ने भी किया राष्ट्रीय शोक का ऐलान, झुका रहेगा झंडा