MP: कोरोना के कारण माता-पिता खोने वाले बच्चों के लिए फंड मांगना संज्ञेय अपराध

MP: कोरोना के कारण माता-पिता खोने वाले बच्चों के लिए फंड मांगना संज्ञेय अपराध
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भोपाल: कोरोना संक्रमण के चलते इस समय कई लोग अपनी जान से हाथ धो रहे हैं। ऐसे में कई ऐसे बच्चे हैं जिनके सिर से माता-पिता का साया उठ रहा है। कई ऐसे बच्चे हैं जिनके माता-पिता की मृत्यु कोरोना वायरस के कारण हो गई है। ऐसे में अब उनके लिए ऑनलाइन फंड की मांग करना, उन्हें गोद लेने की अपील करने जैसे मैसेज और फोटो शेयर करना मध्य प्रदेश में शुरू हो गया है। लेकिन हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि यह करना एक संज्ञेय अपराध माना जाएगा।

जी दरअसल बीते शुक्रवार को अधिकारियों ने इस बात की जानकारी दी है। महिला एवं बाल विकास विभाग के एक अधिकारी ने इस बारे में बात करते हुए बताया कि, ''कोई भी व्यक्ति अगर ऐसा करता पाया जाता है तो उस पर बच्चों की खरीद-बेच के आरोप में जुबेनाइल जस्टिस एक्ट-2016 के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा।'' इसके अलावा बाल अधिकार विशेषज्ञ और वकील अनंत कुमार ने कहा, ''अच्छा इरादा इन परिस्थितियों में अपरिहार्य है। बच्चों को अवैध रूप से गोद लेना और उन्हें बेचना या खरीदना गंभीर अपराध हैं और 3 से 7 साल तक जेल की सजा हो सकती है। नकली जानकारी या किसी अवैध जानकारी की जांच के लिए एक प्रणाली होनी चाहिए। गलत काम करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज करना ऐसी गैरकानूनी गतिविधियों को रोकने के लिए एक सही कदम है।''

बताया जा रहा है विभाग ने यह फैसला तब लिया है, जब उन्हें कुछ संदेश प्राप्त हुए, जिसमें बच्चों के लिए फंड इकट्ठा करने और उन्हें गोद लेने की बात की जा रही थी। उन्होंने देखा इस तरह के मैसेज में फोटो और वीडियो थे, लेकिन जब इनकी सत्यता की जांच की गई तो सभी फर्जी मिले। इसी के बाद यह निर्णय लिया गया। महिला एवं बाल विकास विभाग के संयुक्त निदेशक, सुरेश तोमर ने कहा, “बच्चों को गोद लेने के नाम पर ऑनलाइन धोखाधड़ी को रोकने के लिए, मध्य प्रदेश सरकार सभी जिलों को किशोर न्याय अधिनियम की धारा 81 के तहत ऐसे व्यक्तियों पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश जारी करेगी, जिसमें पांच साल के कठोर कारावास और एक लाख तक जुर्माना का प्रावधान है।”

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