नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम सिस्टम पर शुरू हुई बहस थमने का नाम नहीं ले रही है। अब केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने इसको लेकर बड़ा बयान दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा है कि कॉलेजियम सिस्टम के कारण सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों का कीमती वक़्त बर्बाद हो रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, किरेन रिजिजू ने आगे कहा कि वर्ष 1993 में सेकेंड जज केस, में शीर्ष अदालत ने संवैधानिक प्रावधानों को निरस्त कर दिया और कॉलेजियम सिस्टम बनाया। केंद्रीय कानून मंत्री ने यह भी कहा कि भारतीय संविधान (India Constitution) में यह बहुत स्पष्ट है कि जजों को परामर्श के अतिरिक्त जजों की नियुक्ति प्रक्रिया (Appointment Process of Judges) में शामिल नहीं होना चाहिए। यह काम कार्यपालिका द्वारा किया जाना है। रिजिजू ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि, मगर अब ज्यूडिशियरी जजों की नियुक्ति प्रक्रिया में पूरी तरह से शामिल हो चुकी है। कॉलेजियम सिस्टम ने शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालय के जजों (High Court Judges) का बेशकीमती वक़्त ले लिया है। हालांकि, किरेन रिजिजू ने यह भी कहा कि जब तक कॉलेजियम सिस्टम है, हम उसका पालन करेंगे।
कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि मगर, कई बार सवाल उठते हैं कि सिस्टम के भीतर एमओपी (Memorandum of Procedure) है, यदि शीर्ष अदालत उसी को बदलने का प्रयास करती है, तो यह सरकार के लिए एक समस्या होगी। उन्होंने कहा कि हम मानदंडों का पालन कर रहे हैं। हम सर्वोच्च न्यायालय से आग्रह कर रहे हैं कि कोर्ट के कुछ फैसले देकर प्रक्रिया को कमजोर न किया जाए।
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