गोल्ड कोस्ट : कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजकों ने भारतीय बैडमिंटन खिलाडिय़ों को राहत देते हुए ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप दौरान जारी उस नियम को हटाने का फैसला किया है जिसके कारण भारतीय शटलर काफी परेशान चल रहे थे. कॉमनवेल्थ गेम्स के अधिकारियों ने नियम के इस्तेमाल से साफ इनकार कर दिया है, जिसके बाद तुरंत प्रभाव से लागू होने से भारत की कॉमनवेल्थ गेम्स में पदक जीतने की उम्मीदें और बढ़ गई हैं. बीडब्ल्यूएफ के प्रायोगिक सर्विस नियम के तहत खिलाड़ी को शटल जमीन से 1.15 मीटर ऊपर रखनी होती थी.
इसको लेकर भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर के टॉप बैडमिंटन खिलाडिय़ों लिन डेन, विक्टर एक्सेलसेन ने भी विरोध किया था. यही नहीं, भारतीय कोच पुलेला गोपीचंद ने नए नियम संबंधी असमर्थता जताई थी. वहीं, पीवी सिंधु ने भी ऑल इंग्लैंड चैम्पियनशिप जैसे बड़े टूर्नामेंट में नए नियम को प्रयोग में लाने का विरोध किया था. सिंधु का मानना था कि खिलाडिय़ों को नए नियम में ढलने के लिए समय चाहिए होता है. अगर ऐसे नियम बनाने भी हैं तो इसे तुरंत लागू न किया जाए. खिलाड़ी जब इसके अनुकूल हो जाएं तब अगर ठीक लगे तो इसे लागू कर दिया जाए.
गौरतलब है कि ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप के दौरान भारत को नए नियम का बड़ा नुकसान झेलना पड़ा था. भारत के स्टार शटलर किदाम्बी श्रीकांत का चीन के हुआंग युजियांग के खिलाफ प्री-क्वार्टरफाइनल मुकाबला था. इसमें श्रीकांत के सर्विस को अंपायर ने कई बार गलत करार दिया. इससे श्रीकांत अपनी लय बरकरार नहीं रख पाए. जिसका खामियाजा उन्हें युजियांग से 11-21, 21-15, 20-22 से हार से चुकाना पड़ेगा. कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में किया जा रहा है.
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