नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून (CAA) विरोधी आंदोलन का केंद्र रहे दिल्ली के शाहीनबाग में अवैध निर्माण कर बसाई गई बस्तियों को हटाने और जमींदोज़ करने के आदेश के खिलाफ भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी (CPM) ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है. CPM ने अपनी याचिका में कहा है कि दक्षिण दिल्ली नगर निगम (SMCD) प्राधिकरण झुग्गी बस्तियां ढहाने की योजना तैयार कर चुके हैं. अगले सप्ताह में उस योजना पर अमल होना है.
याचिका में यह भी बताया गया है कि चार मई को संगम विहार में गरीबों के घरों पर बुलडोजर की कार्रवाई की गई थी. अब सोमवार तक ओखला शाहीन बाग में भी बुलडोज़र चलाने का ऐलान किया गया है. दक्षिण दिल्ली नगर निगम (SMCD) ने आने वाले सप्ताह में तोड़फोड़ के लिए अतिरिक्त पुलिस बल मुहैया कराए जाने के लिए पुलिस प्रशासन को नोटिस जारी किया है. बता दें कि SMCD द्वारा शाहीन बाग में अतिक्रमण कर बनाए गए अवैध निर्माणों पर 9 मई को बुलडोजर से ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जाएगी.
20 अप्रैल को दिल्ली भाजपा इकाई के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने SDMC और उत्तरी दिल्ली नगर निगम (NDMC) के महापौर को चिट्ठी लिखते हुए रोहिंग्याओं, बांग्लादेशियों और असामाजिक तत्वों के अवैध निर्माण को हटाने की मांग की थी. दक्षिणी दिल्ली के महापौर मुकेश सूर्यन ने एक बैठक के बाद जानकारी दी थी कि सरकारी जमीन, सड़क और फुटपाथ पर अतिक्रमण को हटाने की योजना तैयार की जा रही है. उन्होंने बताया था कि अतिक्रमण और अवैध निर्माण हटाने से पहले लोगों को नोटिस भेजा जाएगा. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में CPM की याचिका से यह सवाल उठ रहा है कि, जब दिल्ली में कई जगह पर अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई कर रही है, तब कम्युनिस्ट पार्टी को केवल शाहीनबाग़ में ही खास दिलचस्पी क्यों है ? क्या CPM ऐसा करके मुस्लिम समुदाय की सहानुभूति और वोट बटोरना चाहती है ? या फिर CPM अवैध अतिक्रमण को रहने देने के पक्ष में है ? हालांकि, फ़िलहाल यह ममला कोर्ट में है.
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