नई दिल्ली: कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया में कहर बरपा रखा है, वही कोरोनावायरस वैक्सीन का समय भारत सहित कई देशों में आरम्भ हो गया है। भारत में भी दूसरे चरण का टीकाकरण कार्यक्रम आरम्भ हो चुका है, जिसमें सीनियर सिटीजन को वैक्सीन लगाई जा रही है। वहीं, अन्य देशों में वैक्सीनेशन का काम बड़े स्तर पर जारी है। किन्तु, टीकाकरण की प्रक्रिया आरम्भ होने के साथ ही हर देश के सामने एक समस्यां आरम्भ हो गई है तथा वो है वैक्सीन के लिए जरुरी सीरिंज। दरअसल, अब कई देशों में टीके के लिए सीरिंज की कमी पड़ रही है तथा कई देशों ने इस पर चिंता जाहिर की है।
अमेरिका तथा यूरोपियन यूनियन ने भी बताया था कि उनके पास वैक्सीन के लिए पर्याप्त सीरिंज नहीं है। जबकि जनवरी में ब्राजील ने सीरिंज तथा नीडल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था जिससे वो अपने देश में सीरिंज की सप्लाई को पूरा कर सके। साथ-साथ जापान ने भी सीरिंज के कारण को लेकर चिंता जाहिर की थी। कहा जा रहा है कि विश्वभर में 8 बिलियन से 10 बिलियन के मध्य सीरिंज की जरुरत है तथा इससे बीते वर्षों में अभी की जरुरत के अनुसार केवल 5 फीसदी सीरिंज का ही उपयोग हुआ था। ऐसे में अब मांग बहुत अधिक बढ़ गई है।
प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक, सेंटर फॉर ग्लोबल डवलमेंट के सीनियर फैलो प्रशांत यादव ने कहा कि अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस तथा जर्मनी बहुत पैसा वैक्सीन पर खर्च कर रहे हैं, किन्तु सीरिंज के लिए बहुत कम पैसा खर्च किया गया है। साथ ही उन्होंने कहा कि टीके के लिए काम आने वाले स्पेशल सीरिंज की मैन्युफैक्चरिंग चिंता का विषय है। यदि आंकड़ों की बात करें तो अमेरिका तथा चीन इस फील्ड में बड़े खिलाड़ी हैं, जिन्होंने 1।7 बिलियन डॉलर का व्यवसाय किया था, जबकि भारत ने 2019 में 32 मिलियन डॉलर का व्यवसाय किया था।
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