MP में कांग्रेस के खिलाफ दर्ज हुई शिकायत, जानिए पूरा मामला

MP में कांग्रेस के खिलाफ दर्ज हुई शिकायत, जानिए पूरा मामला
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सतना: मध्य प्रदेश के सतना जिले में भारतीय जनता पार्टी ने एक महिला सरपंच की जाति को लेकर फैलाई गई गलत जानकारी के खिलाफ कांग्रेस पर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। कांग्रेस ने पहले आरोप लगाया था कि स्वतंत्रता दिवस पर इस महिला सरपंच को राष्ट्र ध्वज फहराने की अनुमति नहीं दी गई तथा ग्राम सभा के चलते उन्हें बैठने के लिए कुर्सी भी नहीं दी गई थी। भारतीय जनता पार्टी ने दावा किया कि यह महिला अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) से संबंधित हैं, न कि दलित, जैसा कि कांग्रेस ने कहा था।

यह विवाद अकौना ग्राम पंचायत की सरपंच श्रद्धा सिंह के आरोपों के पश्चात् उभरा है। श्रद्धा सिंह ने आरोप लगाया था कि 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम के दौरान उन्हें तिरंगा फहराने नहीं दिया गया और ग्राम सभा में उन्हें कुर्सी भी नहीं दी गई। भारतीय जनता पार्टी के सतना मंडल महासचिव केशव कोरी ने कांग्रेस के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है तथा दावा किया है कि सोशल मीडिया पर फैलाई गई जानकारी गलत है। उन्होंने कहा कि श्रद्धा सिंह को दलित नेता बताया जा रहा है जबकि वे OBC से हैं।

कांग्रेस ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'X' पर यह दावा किया था कि अकौना गांव की एक दलित महिला सरपंच को बैठक में बैठने के लिए कुर्सी नहीं दी गई। जब उन्होंने कुर्सी मांगी तो उन्हें फर्श पर बैठने के लिए कहा गया। कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया था कि इससे पहले भी उन्हें झंडा फहराने की अनुमति नहीं दी गई थी क्योंकि वह दलित समुदाय से हैं। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश संगठन महासचिव हितानंद शर्मा ने इस दावे का खंडन करते हुए कहा कि सरपंच एवं ग्राम पंचायत सचिव दोनों ही एक ही जाति (कुर्मी) से संबंधित हैं और संभव है कि उनके बीच कुछ मतभेद हो, लेकिन इस मामले को जातिगत रंग देकर लोगों को गुमराह नहीं करना चाहिए।

सतना के सिटी कोतवाली थाने में दर्ज की गई शिकायत में कोरी ने सोशल मीडिया पर भ्रामक जानकारी फैलाने वाले कांग्रेस नेताओं के खिलाफ जांच और उनके खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की है। इस बीच, सतना जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अफसर (CEO) संजना जैन ने इस मामले पर कार्रवाई करते हुए अकौना ग्राम पंचायत सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। उनकी रिपोर्ट के अनुसार, श्रद्धा सिंह स्वतंत्रता दिवस के दिन तय समय सुबह 8 बजे की बजाय 9 बजे के बाद ध्वज फहराने के लिए पहुंचीं, जबकि उन्हें कई बार फोन किया गया था। इसके बाद उपसरपंच ने ध्वज फहराया। जांच में यह भी पाया गया कि उन्हें बैठने के लिए कुर्सी की पेशकश की गई थी।

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