विशाखापट्टनम: आंध्रपदेश के विशाखापट्टनम से 16 किलोमीटर की दूरी पर सिंहाचल पर्वत पर स्थित भगवान नरसिंह और भगवान वराह का बहुत विशेष मंदिर है। मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण सबसे पहले भगवान नरसिंह के परमभक्त प्रहलाद ने ही करवाया था। यहां मौज़ूद प्रतिमा हज़ारों वर्ष प्राचीन मानी जाती है। जो भगवान् नरसिंह और भगवान् वराह का संयुक्त रूप है।
बताया जाता है कि इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि यहां भगवान नरसिंह लक्ष्मी के साथ विराजमान हैं, किन्तु उनकी प्रतिमा पर पूरे साल चंदन का लेप लगा हुआ रहता है। मान्यताओं के अनुसार साल में एक बार सिर्फ, अक्षय तृतीया के ही दिन ये लेप प्रतिमा से हटाया जाता है और सिर्फ इसी दिन लोग नरसिंह भगवान की असली प्रतिमा के दर्शन कर पाते हैं। धर्मग्रंथों के अनुसार, यह मंदिर भगवान नरसिंह द्वारा हिरण्यकशिपु का वध करने के बाद उनके पम भक्त प्रहलाद ने बनवाया था, मगर कहा जाता है कि वो मंदिर सदियों बाद धरती में समा गया था।
स्थानीय लोगों के अनुसार भक्त प्रहलाद के बाद इस मंदिर को पुरुरवा नामक राजा ने निर्मित करवाया था। उन्होंने धरती में समाए मंदिर से भगवान नरसिंह की प्रतिमा निकालकर फिर से यहां स्थापित किया और उसे चंदन के लेप से ढंक दिया। जिसके बाद से आज तक इस प्रतिमा की इसी प्रकार पूजा की परंपरा चल आ रही है। परंपरा के अनुसार वर्ष में केवल वैशाख मास के तीसरे दिन यानी अक्षय तृतीया पर ये लेप मूर्ति से हटाया जाता है। इस दिन यहां सबसे बड़ा उत्सव मनाया जाता है।
क्या आप जानते हैं ये चंदन किस लिए इतनी मात्रा में घिसा जा रहा है..?
— Jaya_Upadhyaya (@Jayalko1) May 9, 2024
आंध्रपदेश के विशाखापट्टनम से 16 किमी दूर सिंहाचल पर्वत पर स्थित है सिंहाचलम मंदिर। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां पर भगवान विष्णु के वराह और नृसिंह अवतार का संयुक्त रूप है जो कि मां लक्ष्मी के साथ विराजित है।… pic.twitter.com/4LQZiDrNVb
भारतीय धर्मग्रंथों के अनुसार हिरण्यकशिपु के वध के बाद भी भगवान नृसिंह का क्रोध शांत नहीं हो रहा था। सभी देवताओं समेत भगवान शिव ने भी काफी प्रयास किए, मगर उनका क्रोध शांत नहीं हुआ। जिसके कारण भगवान नरसिंह का पूरा शरीर क्रोध से जलने लगा। बताया जाता है कि तब उन्हें ठंडक पहुंचाने के लिए उनके तन पर चंदन का लेप लगाया गया था। जिससे उनका क्रोध धीरे-धीरे शांत हो गया। तभी से भगवान नरसिंह की मूर्ति को चंदन के लेप में ही रखा जाने लगा और साल में केवल एक दिन ही ये लेप हटाया जाता है। इस साल अक्षय तृतीया 10 मई को है, जिसके लिए विशाखापत्तनम में तैयारियां शुरू हो चुकी हैं।
जिला प्रशासन ने शुक्रवार को सिम्हाचलम मंदिर में वार्षिक चंदनोत्सव के सुचारू संचालन के लिए 2000 पुलिस बल और लगभग 400 ट्रैफिक पुलिसकर्मियों के साथ एक परेशानी मुक्त यातायात योजना सहित कड़े सुरक्षा उपाय किए हैं। 150,000 से अधिक भक्तों द्वारा श्री वराह लक्ष्मी नृसिंह स्वामी निजरूपा की पूजा करने की उम्मीद है। पुलिस अधिकारी ने बताया था कि, ''हम पहाड़ी पर ड्यूटी वाहनों और कुछ आवश्यक वस्तुओं के वाहनों को छोड़कर किसी भी चार पहिया वाहन को अनुमति नहीं दे रहे हैं। भक्तों के लिए मंदिर तक पहुंचने के लिए 40 आरटीसी बसों और 50 मिनी निजी बसों सहित लगभग 90 बसें मंदिर की तलहटी में उपलब्ध रहेंगी।''
पहाड़ी पर लगभग 160 जल बिंदु, 250 शौचालय और 16 चिकित्सा शिविर स्थापित किए गए हैं। कतारों में होलोग्राम वाले टिकटों की जांच करने के लिए स्कैनर का उपयोग किया जाएगा, जो लगभग 5 किमी लंबी होने की उम्मीद है। मंदिर प्रशासन चिलचिलाती गर्मी से सुरक्षा प्रदान करने के लिए छतरियां स्थापित कर रहा है। शहर के पुलिस आयुक्त ए रवि शंकर ने कहा कि 2,000 पुलिस अधिकारियों को ड्यूटी पर तैनात किया गया है।
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