शिमला: देश के राज्य हिमाचल प्रदेश में मानव एवं पशु जीवन पर दुष्प्रभाव डालने वाले कीटनाशक पदार्थ अब मार्केट में नहीं बिकेंगी. इन दवाइयों पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है. यूनियन मिनिस्ट्री ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड फार्मर्स वेलफेयर की तरफ से इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई है. पुरे राज्य में अब किसी भी विक्रेता की दुकान पर कीटनाशक दवाइयां नहीं बेची जाएगी. कोई विक्रेता यदि ऐसा करते पकड़ा गया, तो उसके विरुद्ध एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट सख्त कार्यवाही करेगा.
भले ही इन दवाइयों के संकट से मानव जाति को बचाने के लिए पाबंदी लगा दी गई हो, किन्तु कृषको को अभी तक इसके बदले मार्केट में कोई जैविक दवाई प्राप्त नहीं करवाई गई है. राज्य में सरकार की तरफ से चलाई गई प्राकृतिक खेती भी कृषको के खेत तक नहीं पहुंच पाई है. लिहाजा, आने वाले दिनों में कृषको को दिक्क्तें आ सकती है. पूर्व में भी कुछ कीटनाशक दवाइयों पर पाबंदी लगाई गई थी, किन्तु यह कम मात्रा में थी. अब आने वाले दिनों में सरकार कृषकों के लिए क्या कदम उठाएगी, इसको प्रतीक्षा रहेगी.
डिस्ट्रिक्ट डिप्टी एग्रीकल्चरल डायरेक्टर डॉ. पीसी सैनी ने कहा कि आज के समय में बढ़ती जनसंख्या के लिए खाने की मांग को पूर्ण करने के लिए कीटनाशकों तथा उर्वरकों का इस्तेमाल करना आवश्यक है. किन्तु उर्वरकों तथा कीटनाशकों के बेतहाशा उपयोग से खेती विषैली होती जा रही है. भूमि की उर्वरक क्षमता दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है. यह देख यूनियन मिनिस्ट्री ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड फार्मर्स वेलफेयर ने भी अधिसूचना जारी कर ऐसे कीटनाशकों को प्रतिबंधित कर दिया है. इसी के साथ अब कई बदलाव किये जा सकते है.
आज से शुरू होगी रात्रि बस सेवा, ये होगा समय
कोरोना रिपोर्ट निगेटिव होने के बाद भी यात्री को फ्लाइट में जाने से रोका, ये है पूरा मामला
देश में 40 लाख के पार पहुंचे कोरोना केस, मृतकों का आंकड़ा 70 हज़ार के करीब