हर साल आषाढ़ माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस वर्ष 14 जून 2023 को योगिनी एकादशी है। इस दिन जगत के पालनकर्ता प्रभु श्री विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। योगिनी एकादशी पर प्रभु श्री विष्णु की पूजा करना शुभफलदायी माना गया है। मान्यता है कि जो भक्त योगिनी एकादशी पर प्रभु श्री विष्णु की पूजा अर्चना करते हैं, उन्हें पापों से मुक्ति प्राप्त हो जाती है।
योगिनी एकादशी व्रत और पूजा विधि:-
योगिनी एकादशी व्रत के दिन प्रातः स्नान के बाद पीले वस्त्र धारण करें। पूजा घर की साफ सफाई करें। फिर हाथ में अक्षत्, जल एवं फूल लेकर योगिनी एकादशी व्रत और पूजा का संकल्प लें। पूजा के शुभ मुहूर्त में प्रभु श्री विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर को एक चौकी पर स्थापित करें। पंचामृत स्नान करा कर प्रभु श्री विष्णु का श्रृंगार करें। उनको वस्त्र, पीले फूल, फल, माला, चंदन, धूप, दीप, अक्षत्, शक्कर, हल्दी, तुलसी के पत्ते, पान का पत्ता, सुपारी आदि चढ़ें। वही इस के चलते ''ओम भगवते वासुदेवाय नम:'' मंत्र का उच्चारण करते रहें। फिर विष्णु चालीसा, विष्णु सहस्रनाम आदि का पाठ करें। इस दिन योगिनी एकादशी व्रत कथा अवश्य सुनें या पढ़ें। तत्पश्चात, घी के दीपक या कपूर से भगवान विष्णु की विधिपूर्वक आरती करें। विष्णु जी से अपनी मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें। फिर दिनभर फलाहार पर व्यतीत करें। शाम के समय पुनः स्नान के बाद विष्णु जी की आरती करें।
एकादशी की आरती:-
ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता ।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ॐ।।
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ॐ।।
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ॐ।।
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ॐ ।।
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ॐ ।।
विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ॐ ।।
चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ॐ ।।
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ॐ ।।
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। ॐ ।।
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ॐ ।।
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ॐ ।।
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ॐ ।।
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ॐ ।।
परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी ।। ॐ ।।
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ॐ ।।
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