इस वर्ष पितृ पक्ष की शुरुआत 17 सितंबर से होगी और इसका समापन 2 अक्टूबर को होगा। पितृ पक्ष हिंदू कैलेंडर के अनुसार एक विशेष अवधि होती है, जो कुल 15 दिनों की होती है। इस अवधि में विशेष रूप से पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान, तर्पण, और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। इसे पितृ पक्ष इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस समय अवधि में अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के विशेष कार्य किए जाते हैं।
पितृ पक्ष के दौरान की जाने वाली सावधानियाँ
पितृ पक्ष के दौरान कुछ खास चीज़ों की खरीदारी या शुभ कार्य करना अशुभ माना जाता है। इस अवधि में नया वाहन, नया मकान, नए कपड़े आदि की खरीदारी से बचना चाहिए। इसके अलावा, मुंडन, गृह प्रवेश, विवाह और सगाई जैसे शुभ कार्यों को भी इस समय के दौरान स्थगित करने की सलाह दी जाती है। यह माना जाता है कि इन कार्यों को पितृ पक्ष के बाहर करना अधिक फलदायी होता है।
पितृ पक्ष से पहले करने योग्य कार्य
यदि आप पितृ पक्ष के दौरान कोई महत्वपूर्ण खरीदारी या शुभ कार्य करने की योजना बना रहे हैं, तो उसे पितृ पक्ष की अवधि शुरू होने से पहले ही पूरा कर लें। इसके तहत नया वाहन खरीदना, नया घर लेना, या नए वस्त्रों की खरीदारी शामिल है। यदि आप इन कार्यों को पितृ पक्ष से पहले नहीं कर पाते हैं, तो आपको इन कार्यों के लिए पितृ पक्ष के समाप्त होने का इंतजार करना होगा।
पितृ पक्ष से पहले के शुभ मुहूर्त
पितृ पक्ष से पहले कुछ खास दिनों में शुभ मुहूर्त होता है, जिनका उपयोग आप अपनी खरीदारी और अन्य कार्यों के लिए कर सकते हैं। इस साल, 12 सितंबर को सुबह 6:05 बजे से लेकर 13 सितंबर को सुबह 6:05 बजे तक का समय शुभ मुहूर्त है। इस अवधि के दौरान आप अपनी खरीदारी कर सकते हैं और इन तिथियों में किए गए कार्यों को शुभ माना जाता है।
पितृ दोष के उपाय
अगर आपकी कुंडली में पितृ दोष है, तो इस दोष की मुक्ति के लिए विशेष उपाय किए जा सकते हैं। पितृ दोष को दूर करने के लिए, पितरों के नाम का पिंडदान करना एक प्रभावी उपाय माना जाता है। इसके साथ ही, अपनी गलतियों की माफी मांगना और पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करना भी आवश्यक है। इससे न केवल पितृ दोष से राहत मिलती है, बल्कि परिवार में सुख-शांति भी बनी रहती है।
पितृ पक्ष एक अत्यंत महत्वपूर्ण और धार्मिक अवधि है, जिसमें पूर्वजों की आत्मा की शांति और श्रद्धा व्यक्त की जाती है। इस दौरान की जाने वाली विशेष सावधानियाँ और उपाय न केवल धार्मिक महत्व रखते हैं बल्कि पारिवारिक शांति और समृद्धि के लिए भी आवश्यक हैं। पितृ पक्ष के दौरान अनुशासन और ध्यान से किए गए कार्य जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
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