नई दिल्ली: हर दिन बदलते मौसम और आपदाओं का रुख लोगों के लिए बड़ी परेशानी का कारण बनता जा रहा है.वहीं रोजाना मौसम भी अपने रूप बदलता जा रहा है. जंहा बिहार और पूर्वी यूपी में बिजली गिरने से हुई 110 लोगों की मौत के साथ ही मानसून के दौरान होने वाली आपदाओं ने असर दिखाना प्रारम्भ किया जा चुका है . जंहा अमेरिका की साइंस मैगजीन में छपी एक रिसर्च में कहा गया है कि वातावरण का तापमान बढ़ने के साथ ही भारत में आंधी-तूफान की घटनाएं बढ़ेंगी और बिजली गिरने की घटनाएं अधिक होंगी.
मौसम विभाग के अनुसार अगर वातावरण का तापमान एक डिग्री तक बढ़ता है, तो बिजली गिरने की घटनाओं में 12 फीसदी की अधिकता आ सकती है. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार भारत में जलवायु परिवर्तन के कारण वर्ष 1951 से 2015 के बीच वार्षिक औसत अधिकतम तापमान में 0.15 डिग्री जबकि न्यूनतम तापमान में 0.13 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी देखी गई है.
मतलब वातावरण में तापमान बढ़ने के साथ ही आंधी-तूफान की अधिकता और आकाशीय बिजली गिरने की घटनाओं में सीधा संबंध है. जंहा भारत के कई राज्यों में बिजली की घटनाओं को दर्ज करने के साथ ही पूर्वानुमान जारी करने वाली अंतरराष्ट्रीय एजेंसी अर्थ नेटवर्क के क्षेत्रीय प्रबंधक कुमार मार्गश्याम कहते हैं, भारत में आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ब्रिटेन की एक स्टडी है कि ग्रीन हाउस इफेक्ट बढ़ने से तापमान में बढ़ोतरी से बिजली की घटनाएं बढ़ रही हैं. तापमान में तीव्र बदलाव से आंधी-तूफान की घटनाएं ज्यादा होती हैं. ये आंधी-तूफान बहुत कम समय के लिए होते हैं, जो 30 मिनट से 45 मिनट तक होते हैं. कई देशों में बिजली गिरने की सूचनाएं एकत्र करने के साथ ही आंधी-तूफान की पूर्व सूचना देने वाली संस्था अंतराष्ट्रीय संस्था अर्थ नेटवर्क की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 भारत में कुल 3,22,38,667 बार बिजली की घटनाएं हुईं.
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