कोच्ची: केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने केरल के कोझिकोड में भाजपा की एक विशाल रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (CPIM) दोनों को आड़े हाथों लिया। चन्द्रशेखर ने जोर देकर कहा कि ये पार्टियाँ राज्य के भीतर आतंकवाद और आतंकवादी गुटों के लिए "लाल कालीन" बिछा रही हैं। 2 दिसंबर को रैली का उद्घाटन करते हुए, केंद्रीय मंत्री ने सत्तारूढ़ CPIM के नेतृत्व वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (LDF) और विपक्षी कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) पर अपनी नीतियों के माध्यम से आतंकवाद का समर्थन करने का आरोप लगाया।
केंद्रीय मंत्री चंद्रशेखर ने दावा किया कि दोनों राजनीतिक मोर्चे धार्मिक आतंकवाद के लिए अनुकूल माहौल को बढ़ावा दे रहे हैं, जिससे केरल की स्थिरता और सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा पैदा हो रहा है। केरल में आयोजित एक जोशीली भाजपा रैली में, केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर और राज्य भाजपा अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने सत्तारूढ़ मोर्चों के खिलाफ तीखी आलोचना की, उन पर आतंकवाद के लिए अनुकूल माहौल को बढ़ावा देने और जनता का आर्थिक रूप से शोषण करने का आरोप लगाया। चन्द्रशेखर ने केरल में युवाओं के लिए नौकरी के अवसरों की कमी पर प्रकाश डाला और इसकी तुलना पड़ोसी राज्यों में उपलब्ध आर्थिक अवसरों से की।
उन्होंने आरोप लगाया कि केरल सरकार की नीतियों ने यह धारणा बना दी है कि राज्य के भीतर आतंकवाद को समर्थन दिया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री ने आतंकवादियों की निंदा नहीं करने के लिए राजनीतिक मोर्चों, विशेषकर कांग्रेस, CPIM और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) की आलोचना की और हमास प्रतिनिधियों के लिए उनके कथित समर्थन का उल्लेख करते हुए इसे आतंकवाद को प्रोत्साहन बताया।
इसके अलावा, चंद्रशेखर ने राष्ट्रीय प्रगति में बाधा डालने वाले और आसानी से आतंकवाद का शिकार होने वाले लोगों के बारे में चिंताओं का हवाला देते हुए संवैधानिक ढांचे के भीतर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमाओं पर जोर दिया। उन्होंने आतंकवाद का जड़ से मुकाबला करने के लिए पिछले नौ वर्षों में केंद्र सरकार के प्रयासों को रेखांकित किया। हजारों लोगों की उपस्थिति वाली यह रैली उपरोक्त राजनीतिक मोर्चों और फिलिस्तीन का समर्थन करने वाली उनकी रैलियों की प्रतिक्रिया के रूप में काम करती थी, जिसे चन्द्रशेखर ने फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास के आतंकवादियों का छिपा हुआ समर्थन करार दिया।
एक अलग संबोधन में, के सुरेंद्रन ने केरल सरकार पर जनता का आर्थिक रूप से शोषण करने का आरोप लगाया। उन्होंने 1986 से भूमि स्वामित्व कार्यों से संबंधित मुद्दों पर प्रकाश डाला, जिसमें पंजीकरण कीमतों में हेराफेरी के आधार पर जब्ती नोटिस के माध्यम से सरकारी दुरुपयोग का आरोप लगाया गया। सुरेंद्रन ने इस कथित शोषण के खिलाफ कानूनी और राजनीतिक कार्रवाई की कसम खाई। इसके अतिरिक्त, उन्होंने सरकार पर अनावश्यक दस्तावेज़ीकरण आवश्यकताओं का हवाला देते हुए लगभग 30,000 पात्र प्राप्तकर्ताओं की विधवा पेंशन रोकने का आरोप लगाया, ताकि उन्हें उनके उचित अधिकारों से वंचित किया जा सके।
केरल में निकली फिलिस्तीन (हमास) के समर्थन में रैलियां :-
बता दें कि, इजराइल और फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास के बीच जारी जंग के दौरान मध्य अक्टूबर में हमास के पूर्व प्रमुख खालिद मशाल ने एक रैली को संबोधित किया था। ये रैली जमात ए इस्लामी द्वारा आयोजित की गई थी, जिसमे बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग शामिल हुए थे। हमास समर्थित इस रैली में 'यहूदीवाद और हिंदुत्व को उखाड़ फेंको' के नारे लगे थे, वो भी तब जब केरल पुलिस वहीँ मौजूद थी। इसके अलावा केरल में कांग्रेस और मुस्लिम लीग ने भी फिलिस्तीन के समर्थन में कई रैलियां निकाली हैं, कांग्रेस सांसद राजमोहन उन्नीथन ने तो रैली में यहाँ तक कह दिया था कि, इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को बिना मुक़दमे के गोली मार देनी चाहिए और हमास को आतंकी संगठन कहने वाले को करारा जवाब दिया जाना चाहिए।
हिंदू नरसंहार का आयोजन
— शुभम् हिन्दू (@Shubhamhindu01) October 28, 2023
ये कोई अरब देश नही ये केरला है।
ये भारत और भारत के हिंदुओ के लिए चिंता की बात है।
आतंकवादी संगठन हमास का नेता खालिद मशाल ने मल्लापुराम में जमात-ए-इस्लामी की युवा शाखा को संबोधित किया, जिसे भारत के अंदर मिनी पाकिस्तान के रूप में जाना जाता है।
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उल्लेखनीय है कि, इजराइल पर हमला होने के बाद से लेकर, इजराइल द्वारा गाज़ा पर जवाबी कार्रवाई करने तक कांग्रेस और वामपंथी दलों ने इजराइल का ही विरोध किया है और हमास को आतंकी संगठन कहने से परहेज किया है। दरअसल, हमास को आतंकी कहने से सियासी दलों को भारत में रहने वाले मुस्लिम समुदाय की नाराज़गी का सामना करना पड़ेगा, जो चुनावों में कांग्रेस और CPIM दोनों का कोर वोट बैंक है। ये भी एक कारण है कि, ये दल हमास की बर्बर हरकतों को नज़रअंदाज़ करते हुए इजराइली कार्रवाई का एकतरफा विरोध कर रहे हैं। कांग्रेस ने तो अपनी कार्य समिति (CWC) की मीटिंग में बाकायदा फिलिस्तीन के समर्थन में प्रस्ताव भी पारित किया है। कांग्रेस का कहना है कि, इजराइल ने फिलिस्तीनी जमीन पर कब्ज़ा कर रखा है और उसे वो जमीन छोड़नी चाहिए। ऐसे में विरोधियों ने ये सवाल उठाया था कि, कांग्रेस को हज़ारों किमी दूर फिलिस्तीन पर इजराइली कब्जे की फ़िक्र है, लेकिन भारत में PoK पर पाकिस्तान ने और अक्साई चीन पर चीन ने कब्ज़ा कर रखा है, क्या उनके खिलाफ कभी पार्टी ने प्रस्ताव पारित किया है, या उन्हें वापस लेने के लिए आवाज़ उठाई है ? उल्टा कश्मीर मुद्दे का तो पार्टी ने शुरू से अंतर्राष्ट्रीयकरण कर दिया था, जब इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र (UN) में ले जाया गया था, जैसे ये भारत का हिस्सा नहीं, बल्कि कोई विवादित जमीन हो।