बंगलुरु: 2019 लोकसभा चुनाव में कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन के लिए अपने अपने वोट हस्तांतरित कराना एक बड़ी चुनौती होगी क्योंकि दोनों ने प्रदेश विधानसभा चुनाव एक-दूसरे के विरुद्ध लड़े थे। मैसूर जिले में यह और भी ज्यादा चुनौतीपूर्ण होने वाला है जहां दोनों दलों को कट्टर विरोधी माना जाता है और दोनों दशकों से एक-दूसरे को टक्कर देते रहे हैं।
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कांग्रेस और जद(एस) ने मई 2018 में राज्य में हुए विधानसभा चुनावों में एक-दूसरे के विरोध में काफी कुछ बोला था। किन्तु चुनाव में त्रिशंकु नतीजे आने और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अकेली सबसे बड़ी पार्टी बनने, किन्तु बहुमत से पिछड़ जाने की स्थिति को ध्यान में रखते हुए, कांग्रेस और जद (एस) ने चुनाव के बाद गठजोड़ कर सरकार बना लिया था। कई सप्ताह तक विचार-विमर्श करने के बाद बुधवार को दोनों पार्टियों के मध्य एक समझौता हुआ है, जिसके तहत कांग्रेस 20 और जद(एस) 8 लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी।
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गठबंधन में भाजपा के विपक्षी के रूप में उभरने और ज्यादा संख्या में सीटें जीतने के लिए कांग्रेस को अपने वोट जद (एस) को और जद (एस) को अपने वोट कांग्रेस को हस्तांतरित करना बेहद जरूरी होगा। वोटों के हस्तांतरण को 'बड़ी चुनौती' करार देते हुए जद(एस) के दिग्गज नेता वाय एस वी दत्ता ने कहा है कि पुराने मैसूरू क्षेत्र में चुनौती अधिक कड़ी होती है क्योंकि कांग्रेस और उनकी पार्टी यहाँ कट्टर विरोधी हैं और भाजपा का वहां कोई जनाधार नहीं है।
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