नई दिल्ली: कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 से जुड़े विवादों को लेकर पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ पर निशाना साधा है। रमेश का कहना है कि 2022 में चंद्रचूड़ की टिप्पणियों ने इस अधिनियम को लेकर विवाद को और बढ़ा दिया। उन्होंने कहा कि मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट की मौखिक टिप्पणियों ने विवाद को हवा दी और इसे एक कभी न खत्म होने वाला मुद्दा बना दिया।
रमेश ने 1991 में संसद में पारित पूजा स्थल अधिनियम पर चर्चा को याद करते हुए प्रसिद्ध लेखक और सांसद राजमोहन गांधी के भाषण की प्रशंसा की। उन्होंने इसे राज्यसभा के इतिहास के सबसे बेहतरीन भाषणों में से एक बताया। उस समय राजमोहन गांधी ने महाभारत का उदाहरण देते हुए कहा था कि इतिहास के अन्याय को बदले की भावना से ठीक करने की कोशिश केवल विनाश लाएगी। रमेश ने इस भाषण को भारतीय संस्कृति और राजनीति का मास्टरक्लास करार दिया। जयराम रमेश के ये बयान ऐसे समय में आए हैं जब यूपी के संभल और राजस्थान के अजमेर में धार्मिक स्थलों को लेकर विवाद गरमाया हुआ है। कांग्रेस ने इस पर बीजेपी पर पूजा स्थल अधिनियम का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। हाल ही में कांग्रेस कार्यसमिति ने इस अधिनियम को अक्षरश: लागू करने की बात दोहराई है।
इस अधिनियम के तहत 15 अगस्त 1947 को धार्मिक स्थलों की जो स्थिति थी, उसे बदला नहीं जा सकता। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में अयोध्या विवाद के फैसले के दौरान इस अधिनियम की धारा 3 पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि यह धार्मिक स्थलों की पहचान की जांच करने पर रोक नहीं लगाता। इसी टिप्पणी के बाद 2022 में ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पूजा स्थल अधिनियम धार्मिक स्थलों की पहचान जांचने से नहीं रोकता। इन टिप्पणियों ने इस अधिनियम और इससे जुड़े विवादों पर नई बहस को जन्म दिया।