नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस के बीच इसके समर्थन और विरोध को लेकर रस्साकशी चल रही है। भाजपा के खिलाफ पटना में हुई विपक्षी दलों की एकता बैठक के दो दिन बाद कांग्रेस ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि AAP नेता अपनी बात मनवाने के लिए हमारी कनपटी पर बंदूक नहीं रख सकते। दरअसल, AAP सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने पटना बैठक में ही कह दिया था कि जब तक कांग्रेस अध्यादेश के खिलाफ संसद में मतदान करने का वादा नहीं करती, तब तक हमारी पार्टी उसके साथ किसी भी गठबंधन या बैठक में शामिल नहीं होगी। रिपोर्ट के अनुसार, AAP के अध्यादेश मामले पर सख्त रुख के बावजूद कांग्रेस ने उन्हें दो टूक जवाब दे दिया है।
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि आप अपनी बात मनवाने के लिए हमारी कनपटी पर बंदूक मत रखिए। कांग्रेस सुप्रीमो मल्लिकार्जुन खड़गे और केसी वेणुगोपाल ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की दबाव की राजनीति पर सवाल खड़े करते हुए AAP की भाषा पर भी नाराजगी प्रकट की है। खड़गे ने कहा कि AAP का बयान भड़काउ है, तो केसी वेणुगोपाल ने कहा कि अपनी बात मनवाने के लिए केजरीवाल हमारी कनपटी पर बंदूक नहीं रख सकते।
अध्यादेश का विरोध क्यों कर रहे हैं केजरीवाल, कांग्रेस ने बताया था कारण :-
बता दें कि, 11 मई के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसफर-पोस्टिंग सहित सेवा मामलों से जुड़े सभी कामकाज पर दिल्ली सरकार का कंट्रोल बताया था। वहीं, जमीन, पुलिस, और पब्लिक ऑर्डर के अलावा सभी विभागों के अफसरों पर केंद्र सरकार को कंट्रोल दिया गया था। ये पॉवर मिलते ही, केजरीवाल सरकार ने दिल्ली सचिवालय में स्पेशल सेक्रेट्री विजिलेंस के आधिकारिक चैंबर 403 और 404 को सील करने का फरमान सुना दिया और विजिलेंस अधिकारी राजशेखर को उनके पद से हटा दिया था। लेकिन, केंद्र सरकार अध्यादेश ले आई और फिर राजशेखर को अपना पद वापस मिल गया। इसके बाद पता चला कि, दिल्ली शराब घोटाला और सीएम केजरीवाल के बंगले पर खर्च हुए करोड़ों रुपए की जांच राजशेखर ही कर रहे थे।
राजशेखर को पद से हटाए जाने के बाद उनके दफ्तर में रखी फाइलों से छेड़छाड़ किए जाने की बात भी सामने आई थी। एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमे राजशेखर के दफ्तर में आधी रात को 2-3 लोग फाइलें खंगालते हुए देखे गए थे। ऐसे में कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित और अजय माकन द्वारा कहा जा रहा है कि, केजरीवाल इस अध्यादेश का विरोध दिल्ली की जनता के लिए नहीं, बल्कि खुद को बचाने के लिए कर रहे हैं। अजय माकन का तो यहाँ तक कहना है कि, अध्यादेश पर केजरीवाल का साथ देना यानी नेहरू, आंबेडकर, सरदार पटेल जैसे लोगों के विचारों का विरोध करना है, जिन्होंने कहा था कि, दिल्ली की शक्तियां केंद्र के हाथों में ही होनी चाहिए। माकन तर्क देते हैं कि, कांग्रेस सरकार के समय मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को भी वह शक्तियां नहीं मिली थी, जो केजरीवाल मांग रहे हैं। साथ ही इन दोनों नेताओं ने कांग्रेस से केजरीवाल का साथ न देने की अपील की है। हालाँकि, भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता बनाए रखने और 2024 के चुनाव में AAP का साथ लेने के लिए कोंग्रस हाईकमान केजरीवाल की मांग को स्वीकार कर सकता है, लेकिन अभी इसपर असमंजस की स्थिति है।
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