बैंगलोर: कर्नाटक का खज़ाना भले ही खाली हो, भले ही दलितों/आदिवासियों के फंड में से 14000 करोड़ निकालने पड़े हों, पेट्रोल-डीजल के दाम एक झटके में 3 रूपए बढ़ाने पड़े हों, यहाँ तक एक अमेरकी फर्म को 9.50 करोड़ रूपए देकर ये बताने के लिए काम पर रखना पड़ा हो कि कमाई कैसे बढ़ाई जाए। लेकिन इन तमाम समस्याओं के बावजूद राज्य की कांग्रेस सरकार संभलने को तैयार नहीं है, अब सिद्धारमैया सरकार ने अपनी पार्टी के नेताओं को सरकारी ख़ज़ाने से वेतन देने का मन बना लिया है। जो सरकारी पैसा, दलित-आदिवासी के विकास के लिए पर्याप्त नहीं हो रहा, विकास कार्यों के लिए राज्य सरकार के पास पैसा नहीं, लेकिन अब वो अपने नेताओं को उसी पैसे में से वेतन देगी।
दलित बहुजन समाज के लिए कॉंग्रेस का एक मास्टर स्ट्रोक। कर्नाटक में कॉंग्रेस सरकार SC/ST फंड से 14 हजार करोड़ रुपये निकालकर अपनी गारंटी पूरा करेगी।
— Sachin Waliya (BSP) (@Ambedkar_Boys) July 13, 2024
डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर जी ने पहले ही कहा था कि कॉंग्रेस बहुजन समाज के लिए बहुत घातक पार्टी है। इसके चार आने के भी सदस्य मत बनना। pic.twitter.com/H6ouPJkTPz
कांग्रेस सरकार का कहना है कि, वो राज्य के हर जिले में एक कमिटी बनाएगी, जो ये देखेगी की सरकार की गारंटी योजनाएं सही से लागू हो रही है या नहीं, इस कमेटी में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को शामिल किया जाएगा। और उन्हें सरकारी ख़ज़ाने से बाकायदा वेतन भी दिया जाएगा। सिद्धारमैया सरकार ने घोषणा की है कि उसकी पाँच चुनावी गारंटियां ठीक तरह से लागू हों, इस बात को देखने के लिए राज्य, जिला और तालुक (तहसील) स्तर पर कमेटी बनाई जाएगी। राज्य स्तर की कमेटी का गठन तो हो भी चूका है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने जून, 2024 में ही एक बैठक में बता दिया था कि इन कमेटियों के सदस्य कांग्रेस के नेता व कार्यकर्ता होंगे, अब उनके वेतन की भी घोषणा हो चुकी है।
कांग्रेस सरकार, जिला स्तर पर बनने वाली कमेटी के मुखिया को 40,000 प्रति माह देगी। इसके अलावा उन्हें हर बैठक के लिए भी अलग से खर्चा दिया जाएगा, जो अच्छा खासा होगा। कांग्रेस सरकार ने घोषणा की है कि तहसील स्तर पर बनने वाली समितियों के मुखिया को 25,000 प्रति माह दिए जाएंगे। इन्हे भी हर बैठक में जाने का पैसा मिलेगा। रिपोर्ट के अनुसार, जिला स्तर की कमेटी में 21 सदस्य यानी कांग्रेस के नेता कार्यकर्ता शामिल होंगे और इन्हें भी वेतन के अलावा प्रत्येक बैठक में जाने का अलग से पैसा मिलेगा। वहीं, तहसील कमेटी में 11 लोग रखे जाएंगे, जिन्हे वेतन और बैठक में शामिल होने का पैसा दिया जाएगा। यह पूरा भुगतान सरकार के खजाने से होगा। कर्नाटक के सभी 31 जिलों में यह कमेटियाँ बनाई जाएँगी और तालुका में अलग। अगर 31 जिलों के हिसाब से देखा जाए, तो 31 जिलाध्यक्ष होंगे और उन सबको 40 हज़ार महीना दिया जाएगा और बैठक में जाने का अलग। इसके अलावा जिला और तलूक स्तर की कमिटी में जितने सदस्य होंगे उन्हें अलग वेतन और बैठक का पैसा मिलेगा, सब कुछ सरकारी ख़ज़ाने से, जो खाली पड़ा है। वैसे अभी केंद्र से बजट का पैसा मिलने वाला है, वरना हो सकता है फिर से SC/ST की तरह किसी का फंड काट दिया जाए।
इन सब जिला कमेटियों के ऊपर एक राज्यस्तरीय कमेटी का गठन भी हुआ है, जिसमे इसमें एक अध्यक्ष और चार उपाध्यक्ष हैं। कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री HM रेवन्ना इसके अध्यक्ष हैं और चारों उपाध्यक्ष भी पुराने कांग्रेस नेता हैं। इन्हे काम करने के लिए राजधानी बेंगलुरु में एक ऑफिस दिया गया है और इसमें 31 सदस्य भी शामिल हैं। राज्य स्तर की कमेटी के अध्यक्ष HM रेवन्ना को कैबिनेट मंत्री और बाकी सदस्यों को कांग्रेस सरकार ने राज्यमंत्री का दर्जा प्रदान किया है। उनके लिए कांग्रेस सरका और भी सुवधाएं देगी।
बता दें कि, कर्नाटक में कुल 31 जिले और 240 तालुक यानी तहसील हैं। इस हिसाब से पूरे पैनल में तक़रीबन 3600 कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भर्ती किया जाएगा और इन्हें सरकारी खजाने से वेतन और बैठक में आने के लिए अलग से पैसा दिया जाएगा। यह खर्चा कांग्रेस सरकार अपनी चुनावी गारंटी योजनाओं से अलग करेगी, जिसके लिए 2023-24 में लगभग 60,000 करोड़ रूपए खर्च हो रहे हैं और कांग्रेस सरकार के वित्तीय सलाहकार बसवराज रायरड्डी कह रहे हैं कि, चुनावी गारंटियां खजाने पर बोझ बन चुकी हैं, हमारे पास विकास के लिए पैसा नहीं बचा है। केंद्र से स्पेशल पैकेज माँगा है। हालाँकि, ये संभवतः देश का पहला मामला है, जहाँ सरकार अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को वेतन दे रही है, ये पता लगाने के लिए कि उसकी योजनाएं ठीक से चल रही हैं या नहीं। आम तौर पर ये काम सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों का होता है, जिन्हे अपने काम का वेतन सम्बंधित विभागों के अनुसार मिलता ही है। एक सवाल ये भी उठता है कि, क्या कांग्रेस के सांसद, विधायक, पार्षद अपने अपने इलाकों में ये नहीं देख सकते कि, योजना सही चल रही है या नहीं ? इसके लिए अलग से अपने पार्टी के नेताओं को वेतन देने की जरुरत क्यों ?
गारंटियों और योजनाओं के नीचे कैसे दबा कर्नाटक ?
बता दें कि कांग्रेस पार्टी ने वोट हासिल करने के लिए 2023 के विधानसभा चुनावों के दौरान 'गारंटी' के नाम से कई लोकलुभावन वादे किए थे। इनमें प्रति परिवार 200 यूनिट मुफ्त बिजली (गृह ज्योति योजना), महिलाओं के लिए 2000 रुपये मासिक भत्ता (गृह लक्ष्मी), प्रति परिवार 10 किलो खाद्यान्न (अन्न भाग्य योजना), महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा और बेरोजगार युवाओं के लिए 1500 रुपये शामिल हैं। इनमें से कुछ योजनाओं को पूर्णतः या आंशिक रूप से लागू किया गया है, जिससे राज्य के खजाने पर अतिरिक्त दबाव पड़ रहा है।
कुछ यूनिट फ्री बिजली के वादे का साइड इफ़ेक्ट ये हुआ कि, बिजली सरप्लस वाले राज्य में कटौतियां होने लगीं और बेल्लारी में जीन्स का बड़ा उद्योग ठप्प होने लगा, लोग महाराष्ट्र-गोवा जैसे पड़ोसी राज्यों में जाने लगे। कांग्रेस के फ्री बस यात्रा का वादा भी दम तोड़ने लगा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, कर्नाटक में महिलाओं को फ्री बस सेवा देने के चलते कर्नाटक स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (KSRTC) 295 करोड़ रुपए के घाटे में चला गया है और अब KSRTC ने बस के किराए को 15-20 फीसदी बढ़ाने की माँग कर दी है। अब इस बढ़े हुए किराए का असर किस पर होगा, ये खुद जनता को ही सोचना है।
From 'We'll make Ballari the jeans capital' during elections to 'Power cuts hit Ballari's jeans industry hard' after elections. The mercy of the government in full display! #ElectoralPromises pic.twitter.com/5w0u6zTj4P
— Priyal Bhardwaj (@Ipriyalbhardwaj) October 25, 2023
विधानसभा चुनावों के दौरान ही अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी थी कि, पार्टी जिस तरह से वादे कर रही है, उससे हो सकता है कि वो चुनाव जीत जाए, लेकिन इससे राज्य सरकार के ख़ज़ाने पर भारी बोझ पड़ेगा और व्यवस्था चरमरा जाएगी, लेकिन कांग्रेस ने सलाह नहीं मानी और आज सचमुच राज्य आर्थिक संकट में घिर गया। एक रिपोर्ट के अनुसार, बीते दो महीनों से कर्नाटक की 1.25 करोड़ महिलाओं को गृह लक्ष्मी योजना के 2000 भी नहीं मिले हैं, क्योंकि राज्य सरकार का खज़ाना खाली है। इस लोक सभा चुनाव में भी पार्टी ने महिलाओं को खटाखट 1 लाख, बेरोज़गारों को 1 लाख, हर बार किसानों के कर्जे माफ़ जैसे लोकलुभावन वादे किए थे, लेकिन सोचिए जब 2000 देने में ही राज्य का खज़ाना खाली हो गया है, तो 1 लाख रुपए कहाँ से दिए जाते ? एक अनुमान के तौर पर 140 करोड़ की देश की आबादी में यदि 25 करोड़ गरीब महिलाएं भी मानें, तो उन्हें साल के 25 लाख करोड़ रुपए जाते, जो देश के कुल बजट का आधा हिस्सा है। इसके बाद बेरोज़गार, किसान, शिक्षा, स्वास्थय, रक्षा, विकास, सड़क, पानी जैसे मुद्दों का क्या होता ?
SC/ST का फंड निकाला, अल्पसंख्यकों के लिए योजना-
बता दें कि, कांग्रेस सरकार इससे पहले भी SC/ST फंड में से 14000 करोड़ रुपए अपनी चुनावी गारंटियों के लिए निकाल चुकी है, लेकिन कोई दलित नेता इस बारे में बात नहीं कर रहा, या सरकार से सवाल नहीं पूछ रहा। कर्नाटक शेड्यूल कास्ट सब-प्लान और ट्रायबल सब-प्लान एक्ट के मुताबिक, राज्य सरकार को अपने कुल बजट का 24.1% SC/ST के उत्थान के लिए खर्च करना पड़ता है, लेकिन उस पैसे में अब राज्य सरकार सेंधमारी कर रही है।
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— Zoya (@Zoyafoxy) July 14, 2024
कर्नाटक में कांग्रेस बस किराया 20% तक बढ़ा सकती है। महंगाई बढ़ेगी और बेंगलुरु और भी महंगा शहर बन जाएगा।
KSRTC ने शक्ति योजना के कार्यान्वयन के बाद पिछले 3 महीनों में 295 करोड़ रुपये के नुकसान की सूचना दी, जो महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा प्रदान करती है। pic.twitter.com/Wf6QWmEaN4
गौर करने वाली बात ये भी है कि, एक तरफ कांग्रेस सरकार लगातार दलित-आदिवासी का फंड निकाल रही है, वहीं अल्पसंख्यकों के लिए उसकी बेहद लोकलुभावन योजना जारी है, जिसका ख़ज़ाने पर काफी बोझ पड़ रहा है। उस योजना के अनुसार, यदि कोई अल्पसंख्यक 8 लाख रुपये की कार खरीदता है, तो उसे मात्र 80,000 रुपये का शुरूआती भुगतान करना होगा। 3 लाख रुपए राज्य सरकार देगी, यही नहीं बाकी पैसों के लिए भी बैंक ऋण सरकार ही दिलाएगी। वहीं, इस साल बजट में कांग्रेस सरकार ने ईसाई समुदाय के लिए 200 करोड़, और वक्फ बोर्ड के लिए 100 करोड़ आवंटित किए थे, इसके बाद कमाई करने के लिए मंदिरों पर 10 फीसद टैक्स लगाने का बिल लेकर आई थी, लेकिन भाजपा के भारी विरोध के कारण वो बिल पास नहीं हो सका था। हालांकि, 2024-25 के लिए राज्य का कुल राजस्व घाटा बजट 3,71,383 करोड़ रुपये है, जिसमें पहली बार राज्य की उधारी 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गई है।
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