बैंगलोर: कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने हुबली में 2022 में पुलिस पर हुए हमले के मामले में दर्ज केस वापस लेने का फैसला किया है, जिससे राज्य में राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। यह निर्णय राज्य के गृह मंत्री जी परमेश्वर की सिफारिश पर राज्य मंत्रिमंडल द्वारा लिया गया। भाजपा ने इस फैसले की आलोचना करते हुए इसे तुष्टीकरण की राजनीति बताया है।
कर्नाटक सरकार ने हुबली दंगा मामला लिया वापस!
— Panchjanya (@epanchjanya) October 11, 2024
हुबली में निशाना बनाकर हिन्दुओं पर हमले किए गए थे।
कांग्रेस के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार ने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के नेता मोहम्मद आरिफ और 138 अन्य के खिलाफ आपराधिक मामले वापस लेने का फैसला किया है।
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मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि सरकार के पास कुछ मामलों को वापस लेने की शक्ति है और गृहमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट उपसमिति की सिफारिश पर यह निर्णय किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में मुस्लिम संगठन अंजुमन-ए-इस्लाम की मांग पर 43 केस वापस लिए गए हैं। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सरकार के इस कदम की कड़ी आलोचना की और इसे तुष्टीकरण की चरम सीमा बताया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने आतंकवाद विरोधी कानून (UAPA) के तहत दर्ज मामलों को वापस लेकर गलत कदम उठाया है, क्योंकि ऐसा करना उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। इसके खिलाफ भाजपा ने हुबली में विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई है।
That’s congress for you !!!! pic.twitter.com/xgxq8DhgXc
— Rishi Bagree (@rishibagree) October 11, 2024
2022 में, हुबली शहर में एक व्यक्ति द्वारा सोशल मीडिया पर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट करने पर हिंसा भड़क गई थी। उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर पुलिस स्टेशन लाया गया था, लेकिन मुस्लिम समुदाय के लोग वहां विरोध करने इकट्ठा हो गए और आरोपी को सौंपने की मांग की। इस दौरान, लगभग 150 लोगों की भीड़ ने पुलिसकर्मियों पर हमला किया और पुलिस स्टेशन में घुसने का प्रयास किया। उन्होंने डंडों और पत्थरों से हमला किया, जिसमे तक़रीबन 12 पुलिसकर्मी घायल हो गए और सरकारी एवं निजी वाहनों को नुकसान पहुंचा। पुलिस ने आरोपियों पर दंगा, हत्या का प्रयास, सरकारी अधिकारियों पर हमला और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप लगाए थे। हालाँकि, अब कांग्रेस सरकार ने उन दंगाइयों के केस वापस लेने का फैसला किया है, जिससे राज्य में सियासी बवाल मचा हुआ है। कई लोग उन पुलिसकर्मियों के लिए भी न्याय की मांग कर रहे हैं, जो दंगाइयों के हमले में घायल हुए थे। सोशल मीडिया पर कई लोग ये भी कह रहे हैं कि, जब कांग्रेस सरकार में पुलिस को ही न्याय नहीं मिल रहा है, तो आम जनता क्या उम्मीद कर सकती है ? इससे पहले कांग्रेस सरकार ने जनवरी 2024 में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दौरान उन लोगों को गिरफ्तार किया था, जो 1992 में राम मंदिर आंदोलन में शामिल थे, और कहा था कि अपराधी हमेशा अपराधी होता है, वहीं अब आतंकवाद के आरोपों में दर्ज मुकदमों को कांग्रेस सरकार वापस ले रही है, जिसे मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीती बताया जा रहा है।
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