हैदराबाद: एक ओर जहाँ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार जातिगत जनगणना करवाने का वादा कर OBC का मुद्दा उठा रहे हैं, ताकि देश की सबसे बड़ी जातिय आबादी OBC का समर्थन उनकी पार्टी को मिल सके। लेकिन, इस बीच कांग्रेस को चुनावी राज्य तेलंगाना में बड़ा झटका लगा है। दरअसल, तेलंगाना कांग्रेस के अनुभवी अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) नेता और पूर्व मंत्री पोन्नाला लक्ष्मैया ने राज्य में विधानसभा चुनाव से कुछ हफ्ते पहले शुक्रवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया और आरोप लगाया कि उन्हें पार्टी में अपमानित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि, 'मैंने अपना इस्तीफा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भेज दिया है, जिसमें मैंने पार्टी छोड़ने के अपने फैसले के कारणों को बताया है। मैं उस पार्टी में नहीं रह सकता जिसमें मेरे जैसे कमजोर वर्गों और वरिष्ठों के लिए कोई सम्मान नहीं है, जिन्होंने चार दशकों से अधिक समय तक पार्टी की सेवा की है।'' बता दें कि, लक्ष्मैया जनगांव विधानसभा क्षेत्र से चार बार विधायक रहे हैं, साथ ही उन्होंने 2004 से राज्य के सिंचाई मंत्री के रूप में कार्य किया है।
लक्ष्मैया के इस्तीफे की घोषणा के तुरंत बाद, सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (BRS) के नेताओं ने उनसे संपर्क किया और उन्हें पार्टी में आमंत्रित किया। BRS के एक प्रवक्ता ने नाम बताने से इनकार करते हुए कहा कि, ''पूरी संभावना है कि वह 16 अक्टूबर को जनगांव में पार्टी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव की सार्वजनिक बैठक में BRS में शामिल हो सकते हैं।'' खड़गे को कड़े शब्दों में लिखे अपने पत्र में, लक्ष्मैया ने कहा कि वह एक ऐसे बिंदु पर पहुंच गए हैं, जहां उन्हें लगता है कि वह अब ऐसे अन्यायपूर्ण माहौल में नहीं रह सकते।
उन्होंने कहा कि, 'अनियमितताओं के आरोप हमारी पार्टी की अखंडता को और कमजोर करते हैं। दुर्भाग्य से, हम बाहरी सलाहकारों पर भरोसा करते हैं, जो अक्सर समर्पित कार्यकर्ताओं की आवाज़ की अनदेखी करते हैं।'' लक्ष्मैया ने आरोप लगाया कि जब तेलंगाना के 50 पिछड़ा वर्ग (BC) नेताओं का एक समूह पिछड़े वर्गों के लिए प्राथमिकता देने का अनुरोध करने के लिए दिल्ली गया, तो उन्हें कांग्रेस नेताओं के साथ बैठक करने से भी मना कर दिया गया। उन्होंने इसे आत्मसम्मान पर गर्व करने वाले राज्य के लिए शर्मिंदगी करार दिया।
उन्होंने आगे कहा कि, "यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि मेरे जैसे वरिष्ठ नेताओं को पार्टी की चिंताओं पर चर्चा करने के लिए महीनों तक इंतजार करना पड़ा और मैंने व्यक्तिगत रूप से कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल से मिलने के लिए दिल्ली में 10 दिनों तक इंतजार करने पर निराशा व्यक्त की है।" पूर्व मंत्री ने खेद व्यक्त किया कि उन्हें 2015 में पीसीसी अध्यक्ष के पद से अनौपचारिक रूप से हटा दिया गया था और उन्होंने तब से नौ वर्षों तक इन मुद्दों के बारे में आवाज उठाई थी। उन्होंने अपने पत्र में कहा, "सामाजिक न्याय के सिद्धांत, जो कभी कांग्रेस का आधार थे, अब पुराने प्रतीत होते हैं, पिछड़ा वर्ग के साथ, जिसमें हमारे समाज का 50% से अधिक हिस्सा शामिल है, उनके साथ अनादर और उपेक्षा का व्यवहार किया जा रहा है।"