कोलकाता: पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस (TMC) सरकार पर भाजपा की मोदी सरकार ने बीरभूम मामले में शिकंजा कसा, तो ममता बनर्जी को वापस विपक्ष के नेताओं की याद आने लगी है। दरअसल, ममता 'दीदी' ने विपक्ष के कई बड़े नेताओं को चिट्ठी लिखते हुए मोदी सरकार के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया है, मगर उनकी ये बात कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी को रास नहीं आ रही है।
कांग्रेस नेता अधीर रंजन ने कहा है कि 'कभी तो ममता कहती हैं कि भाजपा के विरुद्ध सारे दल एक हो जाओ। कभी वो कहती हैं कि भाजपा और कांग्रेस के खिलाफ एकजुटता दिखाओ, तो कभी वे बयान देती हैं कि कांग्रेस तो डूबता हुआ जहाज है। उनका बयान दिन और रात में लगातार बदलता रहता है।' कांग्रेस नेता का कहना है कि उनकी बात पर भरोसा कैसे करें, ये समझ नहीं आता? उल्लेखनीय है कि बंगाल चुनाव के दौरान जब मोदी-शाह की जोड़ी अपनी पूरी टीम के साथ राज्य में ममता के खिलाफ ताल ठोंक रही थी, तब भी ममता को विपक्ष की याद आई थी। तब लगभग सभी सियासी दलों ने चुनावी मैदान से अपने पैर पीछे खींचते हुए ममता 'दीदी' को सहारा देने का काम किया था। मगर मुख्यमंत्री बनते ही ममता बनर्जी के तेवर बदल गए और उन्होंने कांग्रेस के खिलाफ आग उगलना शुरू कर दिया। उन्होंने कांग्रेस को डूबता जहाज तक कह डाला था।
अब, अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी पर कोयला घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) का शिकंजा कसते देख ममता को एक बार फिर विपक्ष की याद आने लगी है। उन्होंने गैर-भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और विपक्षी पार्टियों के नेताओं को पत्र लिखते हुए उनसे भाजपा के खिलाफ जंग में साथ आने की अपील की है। ममता ने भाजपा से मुकाबला करने के लिए विपक्षी नेताओं से एक मीटिंग करने का भी आग्रह किया है। अब ममता का इरादा केंद्र गैर बीजेपी सरकार बनाने का है और बहुत हद तक गैर-कांग्रेसी सरकार बनाकर खुद PM बनने का भी।
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