नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र में सोमवार को प्रमोशन में आरक्षण का मुद्दा छाया रहा. संसद के निचले सदन में विपक्षी नेता शीर्ष अदालत की टिप्पणी के बाद केंद्र सरकार पर हमलावर दिखे और सरकार से इस मुद्दे पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की मांग की. इस दौरान सदन में सत्तापक्ष और विपक्षी नेताओं में जबरदस्त बहस भी देखने को मिली, जब लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी और संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी आमने-सामने आ गए.
विपक्ष के आरोपों पर प्रहलाद जोशी ने कहा कि शीर्ष अदालत में उत्तराखंड सरकार का पक्ष है और इसका भारत की केंद्र सरकार से कोई वास्ता नहीं है. इसके साथ ही सदन को बताया गया कि सामाजिक न्याय मंत्री नरेंद्र तोमर भी इस मामले पर लोकसभा में वक्तव्य देंगे. हालांकि मंत्री के बयान से कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने संतुष्ट नज़र नहीं आए और उन्होंने कहा कि यह सरकार मनुवाद में यकीन रखती है.
नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी कि उत्तराखंड सरकार किस तरह कह सकती है कि पदोन्नति में आरक्षण का कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है और सरकार का कोई भी दायित्व नहीं है. आपको बता दें कि देश की सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में टिप्पणी देते हुए कहा है कि प्रमोशन में आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है और इसे लागू करना प्रदेशों की सरकारों पर निर्भर करता है.
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