जिस NewsClick पर चीन से पैसे लेकर 'भारत विरोधी' प्रोपेगेंडा फ़ैलाने का आरोप, उसके बचाव में उतरी कांग्रेस !

जिस NewsClick पर चीन से पैसे लेकर 'भारत विरोधी' प्रोपेगेंडा फ़ैलाने का आरोप, उसके बचाव में उतरी कांग्रेस !
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नई दिल्ली: चीनी फंडिंग से चलने वाले विवादित मीडिया पोर्टल न्यूज़क्लिक (NewsClick) से जुड़े कई पत्रकारों और कर्मचारियों के घरों पर आज सुबह दिल्ली पुलिस ने छापा मारा है। न्यूज़क्लिक पर आरोप है कि, वो चीन से पैसा लेकर भारत में उसका प्रोपेगेंडा चलाता है और भारत का अहित करने वाली सामग्री प्रसारित करता है। अब कांग्रेस इस पोर्टल के बचाव में उतर आई है। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने आरोप लगाया है कि न्यूज़क्लिक में योगदान देने वाले पत्रकारों पर सुबह-सुबह छापेमारी "बिहार में जाति जनगणना के विस्फोटक निष्कर्षों और देश भर में जाति जनगणना की बढ़ती मांग से एक ताजा ध्यान भटकाने वाली घटना है।" 

 

पवन खेड़ा ने पीएम नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहा कि, '''कल जब से बिहार के जाति जनगणना के चौंका देने वाले आँकड़े सामने आये हैं, पूरे देश में जाति जनगणना की माँग ज़ोर पकड़ रही है। मोदी साहिब की नींद उड़ी हुई है। जब पाठ्यक्रम के बाहर का कोई सवाल खड़ा हो जाता है तो मोदी जी के पाठ्यक्रम का एक देखा भाला अस्त्र बाहर ले आया जाता है - मुद्दे से लोगों का ध्यान बँटाने का अस्त्र। आज सुबह से न्यूज़क्लिक के योगदानकर्ता पत्रकारों के ख़िलाफ़ हो रही कार्यवाही इसी पाठ्यक्रम का हिस्सा है।'' हालाँकि, गौर करने वाली बात ये है कि, न्यूज़क्लिक के खिलाफ कार्रवाई आज या जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी होने के बाद शुरू नहीं हुई है। अगस्त में अमेरिकी अखबार ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ में अगस्त 2023 में प्रकाशित एक आर्टिकल में न्यूजक्लिक और चीन के बीच संबंधों के बारे में बड़ा खुलासा किया था। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा में भी यह मुद्दा उठाया था। इस दौरान दुबे ने न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट दिखाते देते हुए कहा था कि न्यूज क्लिक को चीन से 38 करोड़ रुपए मिले थे, जिसे उसने कुछ पत्रकारों में बाँट दिया था। इसके बाद से ही उसके खिलाफ वापस कार्रवाई शुरू हुई थी। 

 

बता दें कि, न्यूज़क्लिक के पोर्टल पर आप देखेंगे कि, वो अक्सर प्रोपेगेंडा खबरें चलता था, इसी के बदले में उसे चीन से पैसे मिलते थे, उसके अधिकतर लेख विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस के समर्थन में होते थे, वहीं, केंद्र और राज्यों की भाजपा सरकारें उसके निशाने पर रहती थी। दरअसल, चीन भारत में मोदी सरकार के खिलाफ फर्जी खबरें फैलाने और माहौल बनाने के लिए पैसे देता है, ताकि सरकार हटे और उसका (चीन का) काम आसान हो जाए। चीन उन देशों में ये खेल नहीं खेलता, जहाँ उसकी समर्थक सरकारें हैं। यही खुलासा ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने अपनी रिपोर्ट में किया था। 

यह भी गौर करने वाली बात है कि, चीन पर शासन कर रही कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ चीन (CCP) के साथ 2008 में कांग्रेस ने एक पार्टी टू पार्टी समझौता किया था, इस समझौते में क्या-क्या चीज़ें निर्धारित की गई थीं, ये किसी को नहीं पता। ये मामला सुप्रीम कोर्ट भी गया था और इसकी CBI या NIA से जांच करने की मांग की गई थी, लेकिन अदालत ने कांग्रेस-CCP समझौते पर दाखिल याचिका को सुनने से ही इंकार कर दिया था। इससे पहले जब  2021 में न्यूज़क्लिक के खिलाफ कार्रवाई हुई थी, तो कांग्रेस नेताओं ने इसे प्रेस पर हमला बताते हुए, उस मीडिया संस्थान का बचाव किया था।  हालाँकि, अब तक हुई जांचों में काफी सबूत मिल चुके हैं कि, न्यूज़ क्लिक को चीन से पैसे मिल चुके हैं, और वो ये बताने में नाकाम रहा है कि, उसे चीन ने पैसे क्यों दिए थे। न्यू यॉर्क टाइम्स का कहना है कि, चीन हर ऐसे देश में जहाँ, उसकी समर्थक सरकार नहीं है, वहां अपना प्रोपेगेंडा चलाने के लिए NGO और मीडिया संस्थानों को फंड करता है और उनके जरिए अपना काम करवाता है, जैसे सरकार के खिलाफ प्रोपेगेंडा करवाना, अपने समर्थन में फर्जी जानकारियां फैलाना आदि।  

वहीं, न्यूज़ क्लिक के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जाँच कर रहे एक अधिकारी ने खुलासा किया था कि ‘न्यूज़क्लिक’ का नेविल रॉय सिंघम नामक श्रीलंकाई-क्यूबा स्थित व्यवसायी के साथ आर्थिक लेनदेन था। सिंघम ने ही कथित तौर पर विदेश से 2018 से 2021 के बीच ‘पीपीके न्यूज़क्लिक स्टूडियो प्राइवेट लिमिटेड’ को 38 करोड़ रुपए का फंड दिया था। ‘न्यूजक्लिक’ को मिले पैसों की जाँच करने वाले अधिकारियों ने बताया है है कि नेविल रॉय सिंघम कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (CCP) के प्रोपेगेंडा फैलाने वाली शाखा के लिए काम करता है।

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने कड़े आतंकवाद विरोधी कानून, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत 17 अगस्त को दर्ज मामले के आधार पर मंगलवार सुबह दिल्ली और पड़ोसी इलाकों नोएडा और गाजियाबाद में 30 स्थानों पर छापेमारी की। छापेमारी के दौरान, पुलिस ने लैपटॉप और मोबाइल फोन सहित इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य जब्त किए और हार्ड डिस्क के डेटा डंप लिए। तलाशी प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा साझा किए गए इनपुट पर आधारित थी, जो संदिग्धों द्वारा कथित गैरकानूनी गतिविधियों का संकेत देती है।

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