नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता के. रहमान खान ने अपनी ही पार्टी पर मुसलामानों को नजरअंदाज़ करने का इल्जाम लगाया है। उन्होंने बताया कि अब कांग्रेस में मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व पहले की तरह नहीं रहा। इसीलिए अब कांग्रेस को मुस्लिम अपना नहीं मान पा रहे। इसी के साथ उन्होंने पार्टी में मौजूद मुस्लिम पदाधिकरियों की योग्यता पर भी सवाल उठाए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एक इंटरव्यू में के. रहमान खान ने कहा है कि कांग्रेस में अब योग्य लोगों को जगह नहीं मिल रही। ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी में कितने मुसलमान प्रतिनिधि हैं? ये स्वीकार करना होगा कि पार्टी के संगठन के ढाँचे में परिवर्तन बेहद जरूरी है। देश के 20 करोड़ मुस्लिमों को अपना सियासी नेतृत्व पाने की उम्मीद कांग्रेस से ही होती है। इसके बाद भी पार्टी ने काबिल मुस्लिम चेहरों को तरजीह नहीं दी। किसी को पार्टी में लाने से पहले समाज में उसका वर्चस्व देखना चाहिए। कांग्रेस में कोई मुस्लिम चेहरा भी उभर कर आगे नहीं आ सका। पार्टी की छवि मुस्लिम पार्टी की बनती जा रही थी, जिस से हिन्दू समुदाय उस से दूर होने लगा था। इसी कारण अब कांग्रेस खुल कर मुस्लिमों के समर्थन में बोल भी नहीं पाती। इसे पार्टी का अपने सिद्धांतों से समझौता ही कहा जाएगा।
रहमान ने आगे कहा कि 70 वर्षों तक पार्टी के साथ खड़े अल्पसंख्यकों ने कई बार सरकार बनवाई। मगर अब मुस्लिमों को पार्टी के खुद से दूर जाने का संदेह होने लगा है। इसी शक के कारण ओवैसी जैसे नेता उभर कर सामने आ रहे हैं। मुसलमान अपनी सुरक्षा चाहता है। जब उसकी इन आवश्यकताओं पर पार्टी खामोश रहती है, तब टकराव उत्पन्न होता है। मुसलामानों के मुद्दे पर अब काफी समय तक उनसे वोट लेने वाली सपा, बसपा जैसी पार्टियाँ भी बैकफुट पर हैं।
रहमान ने कहा कि यदि कांग्रेस फिर से मुस्लिम समाज को खुद से जोड़ना चाहती है तो उसे मुसलमानों में विश्वास जगाना होगा। अपने इर्द-गिर्द घूमने वालों को टिकट दे देने से कोई अंतर नहीं पड़ने वाला। मेरा ही अनुभव कईयों के काम आएगा। मैं ओवैसी जैसे नेताओं की सियासत से सहमत नहीं हूँ। मेरी प्रशांत किशोर से भी कोई मुलाक़ात नहीं है। मैंने सब कुछ कांग्रेस को दे दिया और फिर भी उपेक्षित महसूस कर रहा हूँ। हालाँकि, इसके बाद भी मैं सदैव कांग्रेसी बना रहूँगा। मुझे कई अवसर मिले, किन्तु ये पार्टी मैं कभी नहीं छोड़ने वाला। फिर भी पार्टी के जिम्मेदार लोगों को विचार अवश्य करना चाहिए कि लोग दूसरे दलों में क्यों जा रहे हैं। बता दें कि के. रहमान खान राज्यसभा के उपसभापति भी रह चुके हैं।
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